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चीनी रिसर्चर्स ने चमगादड़ों में ढूंढे 24 और Coronavirus, कुछ कोविड-19 फैलाने वाले SARS-CoV-2 जैसे

कोरोना वायरस कैसे फैला, इसे लेकर कई सवाल किए जाते रहे हैं। एक थिअरी के मुताबिक यह चमगादड़ों ने पैंगोलिन जैसे जानवर में आया और उससे इंसानों में। अब एक ताजा स्टडी में चीनी रिसर्चर्स ने बताया है कि उन्हें चमगादड़ों में नए कोरोना वायरस मिले हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें कोविड-19 महामारी फैलाने वाले SARS-CoV-2 जैसा वायरस भी है। यही नहीं, इस स्टडी के लिए सैंपल मई 2019 से लेने शुरू किए गए और नवंबर में वुहान में वायरस तेजी से फैलना शुरू हो गया था।
24 नोवेल कोरोना वायरस मिले : CNN की रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्चर्स का कहना है कि दक्षिणपश्चिम चीन में उनकी खोज से पता चलता है कि चमगादड़ों में कितने कोरोना वायरस होते हैं और कितने इंसानों में फैल सकते हैं। ‘सेल’ पत्रिका में छपी स्टडी में शाडॉन्ग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा है कि चमगादड़ की अलग-अलग प्रजातियों से कुल 24 नोवेल कोरोना वायरस जीनोम असेंबल किए गए हैं जिनमें से चार SARS-CoV-2 जैसे हैं।
अप्रैल 2012 में चीन के युन्नान प्रांत में तांबे की एक खदान में तीन मजदूरों को सफाई के लिए भेजा गया। इस खदान का इस्तेमाल नहीं होता था और यहां चमगादड़ों ने अपना घर बसा रखा था। इस अंधेरी खदान में हवा तक नहीं थी और घंटों ये मजदूर यहां सफाई करते रहे। दो हफ्ते बाद तीनों को निमोनिया जैसी बीमारी हो गई। इसके बाद तीन और मजदूरों को भेजा गया लेकिन उन्हें भी तेज बुखार, खांसी और सांस में दिक्कत होने लगी। सभी को कनमिंग मेडिकल स्कूल इलाज के लिए भेजा गया जहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। कुछ ही महीनों में 3 की मौत हो गई।
पीड़ितों के ब्लड सैंपल वुहान वायरॉलजी लैब भेजे गए। यहां ‘बैट वुमन’ के नाम से मशहूर डॉ. शी झेंगली ने इनका अनैलेसिस किया। उनकी जांच में पाया गया कि इन लोगों की मौत फंगल इन्फेक्शन के कारण हुई थी। अब वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के बाद एक बार फिर ये वाकया और लैब दोनों चर्चा में हैं और यहीं से वायरस लीक होने के आरोपों को बल मिला है। खासकर तब जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इंटेलिजेंस अधिकारियों को आदेश दिया है कि वायरस की उत्पत्ति के बारे में सच पता करने के लिए कोशिशें तेज की जाएं और 90 दिन में रिपोर्ट दी जाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन आरोपों की जांच के लिए जनवरी में एक टीम चीन भेजी थी लेकिन चीन ने उसे शुरू से लेकर आखिर तक सुपरवाइज किया और ऑरिजिनल डेटा भी नहीं दिया। टीम ने वापस आकर लैब लीक की थिअरी को काफी मुश्किल बताया। अब एक बार फिर मांग हो रही है कि जांच दोबारा कराई जाए। ब्रिटेन की सरकार के अडवाइजर और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल माइक्रोबायॉलजी के प्रफेसर रवि गुप्ता ने भी द टेलिग्राफ से कहा है कि लैब लीक थिअरी की तह तक नहीं पहुंचा गया है।
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि युन्नान की खदान में मजदूरों के बीमार पड़ने के बाद चीन के वायरॉलजिस्ट्स की चार टीमों ने वहां से सैंपल लिए और उन्हें 9 वायरस मिले जिन्हें वुहान लैब भेजा गया। इनमें से एक RaTG13 था जो SARS-CoV-2 से 96.2% मिलता-जुलता था। इसके और कोविड-19 फैलाने वाले कोरोना वायरस के बीच में सिर्फ 15 म्यूटेशन का गैप था।
सिर्फ स्पाइक प्रोटीन में अंतर : सैंपल मई 2019 से नवंबर 2020 के बीच जंगल में रहने वाले चमगादड़ों से लिए गए थे। रिसर्चर्स का कहना है कि एक वायरस SARS-CoV-2 से काफी हद तक मिलता-जुलता है। इसके स्पाइक प्रोटीन में ही कुछ अंतर है, जिसके जरिए वायरस कोशिकाओं से अटैच होता है। स्टडी में कहा गया है कि थाईलैंड से जून 2020 में लिए गए सैंपल के साथ पता चलता है कि चमगादड़ों में SARS-CoV-2 जैसे वायरस पनप रहे हैं और कुछ जगहों पर ये ज्यादा हो सकते हैं।
चीन में वायरस लीक होने का आरोप : यह रिसर्च ऐसे वक्त में सामने आई है जब वायरस फैलने में चीन की भूमिका पर सवाल तेज हो चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच की मांग की जा रही है। हाल ही में अमेरिकी की खुफिया एजेंसियों के हवाले से दावा किया गया था कि चीन के युन्नान प्रांत में एक बंद पड़ी खदान में चमगादड़ों से वायरस इंसानों में फैला था। इसके शिकार हुए मजदूरों के सैंपल वुहान की वायरॉलजी लैब लाए गए थे। आरोप है कि यहीं से वायरस लीक हो गया और दुनिया इस त्रासदी की चपेट में आ गई।