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आंख से लेकर किडनी तक… नस-नस में घुस जाता है कोरोना, पोस्ट-मॉर्टम में शरीर के भीतर 84 जगह मिला संक्रमण


टिशू (ऊतक) पर अब तक के सबसे व्यापक अध्ययन में शोधकर्ताओं को चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिले हैं। वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क और हृदय से लेकर आंखों तक पूरे शरीर में कोरोना वायरस या SARS-CoV-2 के निशान पाए हैं। नतीजों से संकेत मिलता है कि शुरुआती बीमारी के महीनों बाद, वायरस शरीर के कई हिस्सों में लगातार संक्रमण पैदा कर सकता है। यह अध्ययन कोविड के संभावित इलाज के रूप में एंटीवायरल दवाओं पर आगे के शोध के तर्क का समर्थन करता है।
कोरोना वायरस को अस्तित्व में आए तीन साल बीत चुके हैं और वैज्ञानिक अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वायरस मानव शरीर के साथ कैसे व्यवहार करता है। सबसे जटिल रहस्य यह है कि कोरोना किस तरह श्वसन प्रणाली के अलावा अन्य अंगों को व्यापक रूप से संक्रमित करता है। हाल ही में स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक टीम ने कई कोविड मरीजों के पोस्ट-मॉर्टम मस्तिष्क के टिशू के नमूनों का बारीकी से विश्लेषण किया। उन्हें वायरल आरएनए का कोई निशान नहीं मिला।
वायरस ने फेफड़ों पर की सबसे गहरी चोट – मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के सहयोग से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंटिस्ट्स के नेतृत्व में किए गए नए शोध में 44 मरीजों का ऑटोप्सी किया गया जिनकी मौत कोविड-19 से हुई थी। यह अध्ययन मौत के तुरंत बाद टिशू पर ध्यान केंद्रित करता है। निष्कर्षों से पता चला कि कोरोना शरीर में 84 अलग-अलग स्थानों में पाया जा सकता है। वायरल आरएमए का सबसे गहरा असर श्वसन मार्ग और फेफड़ों के टिशू पर पाया गया।
रिसर्च में शामिल बिना वैक्सीन वाले वृद्ध मरीज – हालांकि मस्तिष्क, आंत, हृदय, गुर्दे, आंख, लिम्फ नोड्स और एड्रेनल ग्लैंड में भी वायरस का पता चला है। परीक्षण किए गए टिशू संक्रमण के अलग-अलग चरणों वाले मरीजों के थे। इनमें शुरुआती संक्रमण (लक्षण दिखाई देने के 14 दिनों के भीतर) से लेकर गंभीर बीमारी के नौ महीने बाद तक के मरीज शामिल थे। शोध में शामिल सभी मरीज वृद्ध थे, जिन्हें टीका नहीं लगा था। महामारी के पहले साल उनका पोस्ट-मॉर्टम किया गया था और वे कई अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे।