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इंग्लैंड ने तो जीत पक्की मान ली थी… तिलक की पारी तो ठीक है, 9 गेंदों पर 15 रन को नहीं भूल सकते


इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज के दूसरे मुकाबले में तिलक वर्मा ने 72 रन बनाकर भारत को जीत दिलाई। विकेट गिरने के बावजूद, निचले क्रम के बल्लेबाज अर्शदीप सिंह और रवि बिश्नोई ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। गेंदबाजों के बल्ले से योगदान ने मैच का रुख बदल दिया।
चेन्नई: इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज के दूसरे मुकाबले में तिलक वर्मा भारत की जीत के हीरो रहे। विकेट की पतझड़ के बीच तिलक ने बेहतरीन 72 रनों की पारी खेली। वह अंत तक नाबाद रहे और चौके के साथ मैच फिनिश किया। इस पारी के लिए तिलक की काफी तारीफ हो रही है। 15वें ओवर में भारतीय टीम के 126 रन पर 7 विकेट गिर गए थे। 31 गेंदों पर 40 रन चाहिए थे। रन रेट कम चाहिए था लेकिन विकेट सिर्फ तीन ही बचे थे। यहां से तिलक को नंबर-9 और नंबर-10 के बल्लेबाजों का साथ मिला।
बिश्नोई और अर्शदीप ने दिया योगदान – अर्शदीप सिंह 9वें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरे। उन्होंने 4 गेंदों पर एक चौके की मदद से 6 रन बनाए। उनके आउट होने के बाद क्रीज पर उतरे रवि बिश्नोई ने तो कमाल ही कर दिया। उन्होंने दो चौके मार दिए। ब्रायडेन कार्स के खिलाफ फ्लिप से मिड विकेट पर चौका लगाया तो लिविंगस्टोन की गेंद पर बैकवर्ड पॉइंट की ऊपर से गेंद को बाउंड्री के लिए भेजा। उन्होंने 5 गेंद पर 9 रन बनाए। इन दोनों गेंदबाजों ने बल्ले से 167 की स्ट्राइक रेट से 9 गेंद पर 15 रन बनाए।
बैटिंग पर भी फोकस करते हैं बिश्नोई – लेग स्पिनर रवि बिश्नोई गेंदबाजी के साथ ही अपनी बैटिंग को बेहतर करने पर भी फोकस कते हैं। मौका मिलने पर वह बल्लेबाजी प्रैक्टिस में पीछे नहीं रहे। उन्होंने चेन्नई टी20 से पहले ही बैट और पैड के साथ फोटो डाला था। इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा था- बल्लेबाजों को ही सारा मजा क्यों मिलना चाहिए?
बल्ले से गेंदबाजों का योगदान जरूरी – अर्शदीप सिंह और रवि बिश्नोई ने टीम इंडिया को बड़ी सीख भी दे दी है। हाल के सालों में देखा गया है कि भारत के गेंदबाज बल्ले से योगदान ही नहीं दे पाते। एक समय जहीर खान, एस श्रीसंथ, हरभजन सिंह, अनिल कुंबले और प्रवीण कुमार जैसे गेंदबाज थे, जो काफी अच्छी बल्लेबाजी करते थे। भुवनेश्वर कुमार का भी बल्ले से रिकॉर्ड अच्छा है। गेंदबाजों के बल्ले से छोटे योगदान भी बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं।