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जम्मू-कश्मीर में जी-20 बैठक भारत के अहंकार का सबूत… दुनियाभर में हो रही दिल्ली की वाहवाही, बौखलाए बिलावल


एक ओर जहां भारत जम्मू-कश्मीर में जी-20 मीटिंग का आयोजन कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को इससे मिर्ची लग रही है। भारत के आमंत्रण पर दुनियाभर से मेहमान इन बैठकों में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सुर में सुर न मिलाने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ‘अस्थायी हितों के लिए स्थायी सिद्धांतों का बलिदान देना’ बुद्धिमानी नहीं है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में बिलावल ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला।
जियो न्यूज की खबर के अनुसार बिलावल ने कहा, ‘आज मैं दुनिया से पूछता हूं कि क्या किसी देश को संयुक्त राष्ट्र के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं से मुकरने, अपने वादों को तोड़ने और अंतरराष्ट्रीय कानून का खुलेआम उल्लंघन करने की अनुमति दी जा सकती है?’ उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत प्रतिबद्धताएं पवित्र हैं। उन पर न तो कोई अंधराष्ट्रवादी राजनीतिक दल निगरानी रख सकता है और न ही समय बीतने के साथ वे कमजोर हो सकती हैं।’
जी-20 बैठकों को बताया ‘अहंकार का सबूत’ – भारत जम्मू-कश्मीर में जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठकें आयोजित कर रहा है। बिलावल ने कहा, ‘इस कार्यक्रम की मेजबानी कर भारत जी-20 अध्यक्ष के रूप में अपनी स्थिति का ‘दुरुपयोग’ कर रहा है। यह वैश्विक मंच पर भारत के अहंकार का एक और प्रदर्शन है। पाक विदेश मंत्री ने भारत सरकार पर जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी मुसलमानों पर अत्याचार के बेबुनियाद आरोप लगाए और खुलकर जहर उगला। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह भारत से कश्मीर के उस विशेष दर्जे को बहाल करने का आग्रह करे जो 5 अगस्त 2019 को खत्म हो गया था।
बिलावल को जयशंकर का करारा जवाब – हाल ही में बिलावल भुट्टो शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे। यह 12 साल में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा थी। भारत में उन्होंने लगातार अलग-अलग मंचों पर वही पुराना कश्मीर राग अलापा। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें ‘आतंकवाद का प्रवक्ता’ करार दिया था। उन्होंने कहा, ‘उनका (बिलावल भुट्टो) जी-20 से कोई लेना-देना नहीं है। श्रीनगर और कश्मीर से भी उनका कोई मतलब नहीं है। उन्हें तो यह बताना चाहिए कि वे जम्मू-कश्मीर के अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों को कब खाली कर रहे हैं।’