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दुर्गा सप्तशती का पाठ इस तरह करेंगे तो पाएंगे पुण्य और लाभ


दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय इस बात का रखें ध्यान : आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के 9 दिन मां भगवती के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो कई घरों में हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है लेकिन नवरात्रि में इसका पाठ करने से विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इसका पाठ जल्दी फलदायी माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है नवरात्र के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से अन्न, धन, यश, कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है। कई बार जल्दी-जल्दी में हम पाठ करते समय कुछ गलतियां कर जाते हैं, जिनकी तरफ ध्यान नहीं जाता है। हम आपको बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ किस तरह से करना ज्यादा लाभदायक माना जाता है। इस तरह पाठ करने से आप ज्यादा पुण्य और लाभ प्राप्त कर सकेंगे…
पाठ करने से पहले ध्यान रखें यह बात : नवरात्रि के शुभ दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पाठ से पहले नवार्ण मंत्र, कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इस तरह पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
इस तरह करें दुर्गा सप्तशती का पाठ : दुर्गा सप्तशती का पाठ तीन प्रकार से होता है। सबसे पहले तेज आवाज में बोलकर, इसके बाद मंद स्वर में, जिसमें केवल होठ हिलते हैं लेकिन पाठ करने वाले के अलावा कोई और नहीं सुनता है। तीसरे प्रकार में व्यक्ति मन ही मन पढ़ता है, इसमें होठ भी नहीं हिलते हैं। इन तीनों में प्रथम प्रकार से पाठ करना उत्तम कहा गया है। पाठ समझकर और शब्दों का मतलब जानते हुए करना चाहिए। बिना अर्थ समझे हुए सप्तशती के मंत्रों का पाठ नहीं करना चाहिए
इस तरह न पकड़े सप्तशती की पुस्तक : नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि सप्तशती को हाथ में लेकर पाठ न करें। सप्तशती की पुस्तक को किसी चौकी या स्टैंड पर रखकर पाठ करना चाहिए। शास्त्रों में दुर्गा सप्तशती का इस तरह पाठ करने का वर्णन मिलता है। सही तरीके से दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस तरह न करें पाठ : दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए, जब आप पाठ कर रहे हों तो बहुत धीमे-धीमे पाठ न करें और न ही तेज स्वर में पाठ करना चाहिए। ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ को हमेशा मध्यम स्वर और स्पष्ट शब्दों में करना चाहिए। बहुत से लोग गा-गा कर पाठ करते हैं, कुछ शीघ्रता में पढ़ते हैं, कुछ सिर हिलाकर पढ़ते हैं तो कुछ कंपित शब्दों में पढ़ना पसंद करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। पाठ को हमेशा समझकर करना चाहिए। क्योंकि अर्थ जाने बिना पढ़ना तथा शब्दों को दबाकर पाठ पढ़ने को शास्त्रों में निषेध बताया गया है। इस तरह से सही शब्दों और स्वर का प्रयोग करने से मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्ति होती है।
इन शब्दों का न करें प्रयोग : पाठ ता अध्याय समाप्त होने पर इति, वध और समाप्त जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना गया है। इति शब्द का प्रयोग करने से धन-धान्य में कमी आती है। वध शब्द के उच्चारण से कुल वृद्धि में बाधा आती है और समाप्त शब्द का प्रयोग करने से आरोग्य में कमी आती है।
इस तरह से कर सकते हैं पाठ : नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि पाठ करने के दौरान बीच में रुके नहीं। पूरा पाठ करने के बाद ही उठें। हर किसी कारणवश बीच में उठ गए हैं तो फिर से दुर्गा सप्तशती के पाठ की शुरुआत करें। अगर एक बार में पूरे 13 अध्याय नहीं पढ़ पा रहे हैं तो एक बार में केवल एक चरित्र का पाठ करें। दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र यानी खंड हैं प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र। आप एक बार में एक चरित्र का पाठ कर सकते हैं।