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बुशरा बीबी के ‘भक्‍त’ को ISI चीफ बनाना चाहते हैं इमरान खान, बालाकोट पर फंसे थे आसिफ गफूर


पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की रहस्‍यमय पत्‍नी बुशरा बीबी देश की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ की नियुक्ति को लेकर लगातार विवादों में बनी हुई हैं। पाकिस्‍तानी मीडिया के मुताबिक यह बुशरा बीबी ही हैं जिनकी वजह से लगातार इमरान खान आईएसआई चीफ की नियुक्ति को टाल रहे हैं और सेना से बैर मोल ले रहे हैं। वर्तमान आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट फैज हामिद को रोकने में असफल रहने के बाद अब इमरान खान की कोशिश है कि लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ गफूर को आईएसआई चीफ बना दिया जाए।
पाकिस्‍तानी पत्रकार आयशा सिद्दीक के मुताबिक आसिफ गफूर और उनकी पत्‍नी दोनों ही बुशरा बीबी के मुरीद या भक्‍त हैं। पाकिस्‍तान में बुशरा बीबी को एक ‘पीर’ का दर्जा हासिल है और वह जादू-टोना करने के लिए कुख्‍यात हैं। बुशरा बीबी वास्‍तव में पीर हैं या नहीं यह नहीं पता लेकिन इमरान खान के लिए वह काफी लकी साबित हुई हैं। बताया जा रहा है कि बुशरा बीबी के इशारे पर ही इमरान खान चाहते हैं कि सेना प्रमुख की पसंद लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम की जगह पर आसिफ गफूर को आईएसआई चीफ बनाया जाए।
भारतीय पायलट पर आसिफ गफूर का दावा झूठा निकला : आसिफ गफूर के पाकिस्‍तानी सेना के प्रवक्‍ता रहने के दौरान भारत ने बालाकोट पर आतंकियों के ठिकाने को तबाह किया था। इस दौरान आसिफ गफूर दो भारतीय पायलट पकड़े जाने के दावे पर बुरी तरह से फंस गए थे। आसिफ गफूर का दावा झूठा निकला था और केवल अभिनंदन को ही पाकिस्‍तान ने बंदी बनाया था। इसके बाद भारतीयों ने उन्‍हें ‘दो पायलट’ पर जमकर ट्रोल किया था और पाकिस्‍तान में भी उनकी किरकिरी हुई थी।
लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ गफूर बुशरा बीबी के भक्‍त होने के साथ-साथ इमरान खान के लाडले हैं और इसी वजह से उन्‍हें वह आईएसआई का चीफ बनाना चाहते हैं। इसके लिए इमरान खान अब सेना के साथ खेल-खेल रहे हैं। वह यह दिखाना चाहते हैं कि पाकिस्‍तान में जनता की चुनी हुई सरकार की हुकूमत चलती है। इससे इमरान को फायदा यह है कि अगर सेना उन्‍हें हटाती है तो जनता की नजर में शहीद बनने की कोशिश करेंगे।
इमरान खान सेना के खिलाफ अब धर्म का भी कार्ड खेल रहे : बढ़ती महंगाई के बीच जनता कराह रही है और इमरान खान को उम्‍मीद है कि सेना के खिलाफ खड़े होकर वह शहीद बन जाएंगे और उनके राजनीतिक जीवन को एक नई जान मिल जाएगी। यही नहीं इमरान खान सेना के खिलाफ अब धर्म का भी कार्ड खेल रहे हैं और उन्‍होंने देश में तालिबान की तरह से ‘रहमतुल -लिल- आलमीन प्राधिकरण का गठन किया है जो उन्‍हें कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्‍बैक के लोगों में लोकप्रिय बना देगी। आयशा सिद्दीक कहती हैं कि यह सुनिश्चित हो गया है कि पाकिस्‍तान का अगला आम चुनाव बहुत विवादित होगा और नजदीकी मुकाबला होगा। इसी वजह से वह चाहते हैं कि आईएसआई चीफ उनकी मर्जी का रहे ताकि पिछली बार की तरह से इस बात भी धांधली कराई जा सके।