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लद्दाख तनाव: जंग जैसी तैयारी में जुटा है चीन, PLA ने तैनात किए बॉम्बर, एयर डिफेंस सिस्टम, देशभर से बुलाई सेना


चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्दाख में मई से शुरू हुआ तनाव अब और भी गंभीर होता जा रहा है। गलवान घाटी की हिंसा के बाद पैंगॉन्ग झील पर भी दोनों सेनाओं की बीच झड़प हुई। वहीं, अब चीन ने आरोप लगाया है कि भारतीय सेना ने उस पर गोलीबारी की है। इस सबके बीच चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इस क्षेत्र में भारी सेना और हथियार तैनात करना तेज कर दिया है। देश के अलग-अलग हिस्सों से सेना यहां बुलाई जा रही है।

देशभर से बुलाई सेना
चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सुरक्षा विश्लेषकों के हवाले से दावा किया है कि चीनी PLA ने सुरक्षाबल और भारी हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है और इनके साथ युद्धाभ्यास किया जा रहा है। अखबार के मुताबिक एयर डिफेंस, सशस्त्र वाहन, पैराट्रूपर, स्पेशल फोर्स और इन्फैन्ट्री को देशभर के हिस्सों से बुलाकर इस क्षेत्र में लगाया गया है। PLA के सेंट्रल थिअटर कमांड एयरफोर्स के H-6 बॉम्बर और Y-20 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ट्रेनिंग मिशन के लिए यहां तैनात किए हैं।

किए गए युद्धाभ्यास
ग्लोबल टाइम्स ने पब्लिक मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से दावा किया है कि लंबी-दूरी के ऑपरेशन, तैनाती के लिए अभ्यास और लाइव-फायर ड्रिल कई हफ्तों से जारी हैं। यह कार्रवाई उत्तरपश्चिम चीन के रेगिस्तान और दक्षिणपश्चिम चीन के तिब्बत क्षेत्र में की जा रही है। चीन सेंट्रल टेलिविजन (CCTV) ने पिछले हफ्ते दावा किया था कि PLA की 71वें ग्रुप सेना का HJ-10 ऐंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम पूर्वी चीन के जियांगसू प्रांत से गोबी रेगिस्तान पहुंचा है।

चीन की विदेशी शक्तियों ने वहां की एक रहस्यमयी समुदाय यिहेक्वान (Yihequan) को बॉक्सर नाम दिया था। दरअसल, जो लोग चीनी राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों की लड़ाकू दल में भर्तियां कर रहे थे, वो वास्तव में कुंग-फु फाइटर्स थे और एक तरह की बॉक्सिंग करते थे। जिन देशों ने इस विद्रोह को कुचलने में हिस्सा लिया, उनमें यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, इटली, जापान, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रिया और हंगरी शामिल थे।

राजस्थान से जोधपुर लांसर्स, बिकानेर गंगा रिसाला और 1 राजपूत की यूनिट्स चीन में एक महीने तक ठहरी थी। जोधपुर लांसर्स का प्रतिनिधित्व इदार के सर प्रताप सिंह जबकि बिकानेर रिसाला का प्रतिनिधित्व बिकानेर के महाराजा गंगा सिंह कर रहे थे।

बिकानेर स्टेट आर्काइव्स की तरफ से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के मुताबिक, जब गंगा सिंह को कुछ भारतीय सैनिकों को चीन भेजने की जरूरत का पता चला तो उन्होंने खुद ही इसमें हिस्सा लेने की पेशकश कर दी। गंगा सिंह 1 सितंबर, 1900 को निकले और 14 सितंबर को हॉन्ग कॉन्ग पहुंच गए। टिंस्टिन (Tienstin) में उन्होंने गंगा रिसाला के ऊंट दस्ते का प्रतिनिधित्व किया। बाद में उन्होंने पॉन्टिंगफु पर कब्जा किया और पिटांग पर जीत हासिल की। दस्तावेज बताते हैं कि जब वो दिसंबर 1900 में कलकत्ता लौटे तो वायसराय लॉर्ड कर्जन के आदेश पर वहां उनके स्वागत में भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी।

राजस्थान के सैनिक ब्रिटिशों की तरफ से लड़े थे, लेकिन पश्चिमी देशों की सेनाओं ने लड़ाई के दौरान चीनियों पर अत्याचार करते तो राजस्थानी सैनिक उनका पुरजोर विरोध भी कर रहे थे। सर प्रताप सिंह के अधिकारी अमर सिंह राठौर ने अपनी पर्सनल डायरी में चीनियों के प्रति रूसियों के व्यवहार पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने अपनी डायरी में पश्चिमी देशों के सैनिकों द्वारा चीनी महिलाओं का बलात्कार करने और स्थानीय चीनियों को प्रताड़ित करने का जिक्र किया। बाद में उनकी डायरी पर एक किताब प्रकाशित हुई।

23 हजार राजस्थानी सैनिकों ने बॉक्सर विद्रोह को खत्म करने में अपनी भूमिका निभाई। बॉक्सरों की हार के बाद विद्रोह का अंत हो गया और 7 सितंबर, 1901 को बॉक्स प्रॉटोकॉल पर दस्तखत हुआ। समझौते के तहत मंचू गवर्नमेंट ने नुकसान की भरपाई के लिए 33 करोड़ डॉलर दिया। इसके अलावा, चीनियों ने कुछ विद्रोही नेताओं का मौत की सजा दे दी। इस विद्रोह के कारण किंग राजवंश कमजोर हो गई और एक दशक के बाद उसका अंत हो गया।

भारत पर लगाया आरोप
PLA के तिब्बत मिलिट्री कमाड ने 4,500 मीटर की ऊंचाई पर संयुक्त ब्रिगेड स्ट्राइक एक्सरसाइज की है। PLA की 72वें ग्रुप सेना भी उत्तरपश्चिम में पहुंची है और यहां इसकी एयर डिफेंस ब्रिगेड ने भी लाइव-फायर ड्रिल की हैं जिनमें ऐंटी-एयरक्राफ्ट गन और मिसाइल पर अभ्यास किया गया। इससे पहले चीन के पश्चिमी थिअटर कमांड ने आरोप लगाया है कि 7 सितंबर को उसके सैनिक बातचीत के लिए गए थे और वहां उन पर भारतीय सैनिकों ने गोलीबारी की।

भारत ने दिया है जवाब
उधर, भारतीय सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिक मुखपारी चोटी पर कब्‍जा करने के लिए गलवान जैसी हिंसा दोहराना चाहते थे और भारतीय सैनिकों को बचाव में हवा में गोली चलानी पड़ी। हथियारों से लैस चीनी सैनिक शेनापाओ/गॉड पाओ पहाड़ी की तरफ बढ़े। यह चोटी थाकुंग और स्‍पांगुर गैप के बीच में स्थित है। भारतीय सेना ने चीन की नापाक हरकतों का जवाब देने के लिए 29/30 अगस्‍त को इसी इलाके में जोरदार कार्रवाई करते हुए सभी प्रमुख चोटियों पर कब्‍जा कर लिया था। जिसके बाद से ड्रैगन बौखलाया हुआ है।