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Mahamrityunjay Mantra सावन में इस व‍िध‍ि और न‍ियम से पढ़ें महामृत्‍युंजय मंत्र, भोलेनाथ की कृपा से नहीं होगा आपका अह‍ित


सावन में इस व‍िध‍ि और न‍ियम से पढ़ें महामृत्‍युंजय मंत्र : महामृत्‍युंजय मंत्र यानी क‍ि मृत्‍यु को जीतने वाला महामंत्र। सनातन धर्म में इस मंत्र को गायत्री मंत्र के समकक्ष माना गया है। भोलेनाथ के इस महामंत्र का सावन माह में जप करना अत्‍यंत उत्‍तम माना गया है। मान्‍यता है क‍ि अगर व‍िध‍ि-व‍िधान से सावनभर इस मंत्र का जप क‍िया जाए तो अरोग्‍यता के साथ ही भगवान श‍िव की कृपा भी हमेशा बनी रहती है। तो आइए जान लेते हैं सावन माह में महामृत्‍युंजय मंत्र पढ़ने का न‍ियम क्‍या है?
प्राणरक्षक और महामोक्ष मंत्र है महामृत्युंजय : ऊं हौं जूं सः। ऊं भूः भुवः स्वः ऊं त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊं स्वः भुवः भूः ऊं। ऊं सः जूं हौं।महामृत्युंजय मंत्र को प्राणरक्षक और महामोक्ष मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र का जप कुश के आसन के ऊपर बैठकर ही करें। साथ ही ध्‍यान रखें क‍ि इसका उच्चारण हमेशा सही होना चाहिए। भूलवश भी इस मंत्र के उच्‍चारण में त्रुटि नहीं होनी चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र जप का सही समय जरूर जान लें : ग्रंथों के अनुसार इस मंत्र का जप करने के लिए सुबह 2 से 4 बजे का समय सबसे उत्तम होता है। लेकिन अगर आप इस वक्‍त जप नहीं कर पाते हैं तो सुबह-सवेरे उठकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्‍त्र धारण करके कम से कम पांच बार रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करें। ध्‍यान रखें क‍ि महामृत्युंजय मंत्र की संख्या हमेशा बढ़ाई जाती है। मंत्र जप की निश्चित संख्या निर्धार‍ित कर लें। इसके बाद जब अगले दिन जप करें तो इनकी संख्या बढ़ा लें लेकिन ध्‍यान रखें क‍ि इसकी संख्‍या कम नहीं होनी चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र जप में उच्‍चारण में यह गलती न करें : महामृत्युंजय मंत्र का जप करते समय उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यद‍ि ऐसा करने का आपको अभ्यास न हो तो धीमे स्‍वर में ही इसका जप करें। जप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें। इसके अलावा यह भी ध्‍यान रखें क‍ि इस मंत्र जप एक निर्धारित स्‍थान पर ही करें। मंत्र जप के स्‍थान पर भगवान शंकर की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युंजय यंत्र जरूर रखा होना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र जप करें तो त्‍याग दें ये कार्य : भोलेनाथ के महामंत्र महामृत्युंजय का जप करते समय मन को एकाग्र रखें। ध्‍यान रखें क‍ि आपका मन केवल मंत्र जप में ही लगा हो, मन में क‍िसी के भी प्रत‍ि गलत व‍िचार नहीं आने चाहिए। इसके अलावा महामृत्युंजय का जप करने वाले जातकों को भूले से भी क‍िसी की बुराई या फिर झूठ नहीं बोलना चाहिए। जप के दौरान आलस्य व उबासी भी नहीं आनी चाह‍िए। मांसाहार तो ब‍िल्‍कुल ही त्याग दें अन्‍यथा भोलेनाथ नाराज हो जाते हैं।