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चीन की गोद में जा बैठा पाकिस्तान, अमेरिका के अब किसी काम का नहीं… अकेला टीटीपी को हरा पाएगा मुल्क? विशेषज्ञों से जानें

पाकिस्तान के सामने आज आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। टीटीपी जैसे आतंकी संगठन एक के बाद एक बड़े हमले कर रहे हैं। लेकिन न ही पाकिस्तानी फौज के पास इनका इलाज है और न हुकूमत के पास कोई प्लान। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन से बढ़ती नजदीकियों के चलते अमेरिका के लिए अब पाकिस्तान की अहमियत खत्म हो गई है। पाकिस्तानी पत्रकार और लेखक अहमद रशीद ने शनिवार को कहा कि देश के पास दोबारा सिर उठा रहे प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान से निपटने के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। पिछले साल टीटीपी ने 28 नवंबर को सीजफायर खत्म करने का ऐलान किया था। इसके बाद पूरे पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियां तेज हो गई हैं। आतंकवाद की लहर अब राजधानी इस्लामाबाद और कराची तक भी पहुंचने लगी है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के अनुसार, एक कार्यक्रम में चर्चा के दौरान रशीद ने देश में बढ़ते आतंकवाद का मुद्दा उठाया। शुक्रवार को कराची पुलिस प्रमुख के ऑफिस पर टीटीपी ने हमला बोल दिया था। आतंकियों ने कई धमाके किए और करीब 4 घंटे तक बिल्डिंग के भीतर से सुरक्षाबलों पर गोलियां बरसाते रहे। रशीद ने कराची हमले के बारे में कहा, ‘आतंकवाद से निपटने का काम सेना और स्पेशल फोर्सेस का है, न कि पुलिस।’ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश के पास इसे लेकर कोई ‘स्पष्ट नीति’ नहीं है।
‘आतंकवाद से लड़ रही गलत फोर्स’ – पाकिस्तानी पत्रकार ने कहा, ‘हम आतंकवाद से लड़ने के लिए गलत फोर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम यह नहीं जानते कि हमारी नीति क्या है, क्या हम तालिबान से बात कर रहे हैं या उन पर हमले और बम बरसा रहे हैं?’ उन्होंने मौजूदा संकट के लिए पूर्व सेना प्रमुख और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार ठहराया। रशीद ने कहा कि हमारे पास कोई आतंकवाद-विरोधी नीति नहीं है। हम किसी नीति के समर्थन में जनता को लामबंद करने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि कोई नीति ही नहीं है।
‘टीटीपी को हराने के लिए तय करना होगा लंबा सफर’ – उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बढ़त हासिल करने के लिए पाकिस्तान को लंबा सफर तय करना होगा। पेशावर की एक मस्जिद में हुए सुसाइड ब्लास्ट का जिक्र करते हुए रशीद ने सवाल उठाए, ‘पेशावर हमले में मारे गए सैकड़ों पुलिसवालों का क्या हुआ? वे अखबारों के पन्नों में कहीं खो गए।’ चर्चा में शामिल पाकिस्‍तानी मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने कहा कि अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद टीटीपी की सक्रियता तेजी से बढ़ी है।
‘पाकिस्तान अब अमेरिका के किसी काम का नहीं’ – अमेरिका के विल्‍सन सेंटर में दक्षिण एशिया इंस्‍टीट्यूट के डायरेक्‍टर कुगेलमैन ने पाकिस्तान-अमेरिका संबंधो पर बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान को यह समझने की जरूरत है कि वह अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना ‘इस्लामाबाद के लोग सोचते हैं’। उन्होंने कहा कि अक्सर पाकिस्तान खुद को उपेक्षित महसूस करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह चीन के साथ खड़ा है। अमेरिका इसे खुलकर नहीं कहेगा लेकिन ‘इस समय वॉशिंगटन में यही चल रहा है।’ कुगेलमैन का कहना है कि अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद अमेरिका की ‘प्राथमिकता’ पाकिस्तान नहीं है।