फाइनेंशिल ऐक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लग गई है। गुरुवार शाम को जारी किए गए बयान में एफएटीफ ने बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 34 सूत्रीय एजेंडे में से चार को पूरा करने में विफल रही है। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। एफएटीएफ ने तुर्की को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की है।
मॉरीशस और बोत्सवाना की ग्रे लिस्ट से छुट्टी : एफएटीएफ ने बताया कि पाकिस्तान लगातार निगरानी (ग्रे लिस्ट) में है। इसकी सरकार के पास 34-सूत्रीय कार्य योजना है जिसमें से 30 पर ही ऐक्शन लिए गए हैं। एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट से बोत्सवाना और मारीशस को बाहर कर दिया है। एफएटीएफ ने कहा कि इन दोनों देशों ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को मिल रहे पैसों को लेकर बड़ी कार्रवाई की है।
पाकिस्तान ने एफएटीएफ के मानदंडों को नहीं किया पूरा : एफएटीएफ का तीन दिवसीय सत्र 19 अक्टूबर को शुरू हुआ था। पाकिस्तान ने अभी तक एफएटीएफ के सभी मानदंडों को पूरा नहीं किया है। ऐसे में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने का फैसला अप्रैल 2022 में आयोजित होने वाले एफएटीएफ के अगले सत्र में लिया जा सकता है।
जून में भी एफएटीएफ ने बढ़ाई थी डेडलाइन : इस साल जून में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को काले धन पर रोक नहीं लगाने, आतंकवाद के लिए वित्तपोषण बढ़ाने पर ग्रे लिस्ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से जुड़े हाफिज सईद तथा मसूद अजहर जैसे लोगों के खिलाफ जांच करने और उन पर मुकदमा चलाने को कहा था। पाकिस्तान ने दिखावा तो किया लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं किया है।
ग्रे लिस्ट में बने रहने की संभावना अधिक : इस मीटिंग से जुड़े सूत्रों ने पहले ही पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने की संभावना जताई थी। पाकिस्तान को एफएटीएफ के बाकी बचे एक बिंदु को लागू करने के लिए कम से कम दो से तीन महीने और लगेंगे। ऐसे में अमेरिका, भारत, फ्रांस और ब्रिटेन कोई भी छूट देने के लिए तैयार नहीं होने वाले हैं। हालांकि, प्रदर्शन के मामले में पाकिस्तान बहुत आशावादी थे कि उसे FATF से अच्छी खबर मिलेगी।
ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान, क्या होगा असर : पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे लिस्ट में बना रहेगा, इससे उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।
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