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पाकिस्तानी विपक्षी नेता की इमरान को दो टूक, कहा- भारत से सुधारो रिश्ता, दिया चीन का हवाला


पाकिस्तान में विपक्षी दलों के बढ़ते दबाव के आगे प्रधानमंत्री इमरान खान अब बेबस नजर आने लगे हैं। पाकिस्तानी सेना ने भी अपने ऊपर बढ़ते राजनीतिक हमलों को देखते हुए इमरान सरकार से पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया है। इस बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता फरहतुल्ला बाबर ने इमरान खान से दो टूक कहा है कि वे भारत के साथ अपना रिश्ता सुधारे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत और चीन में दुश्मनी होने के बावजूद आपसी व्यापार अरबों डॉलर का है।
भारत से रिश्ते सुधारे इमरान खान
साउथ एशियन्स अगेंस्ट टेरेरिज्म एंड फॉर ह्यूमन राइट्स की बैठक में फरहतुल्ला बाबर ने इमरान खान को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें पड़ोसी देश भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने पर जोर देना चाहिए। अगर पाकिस्तान भारत के साथ अपने संबंध अच्छे रखता है तो हमारे लोकतंत्र के साथ अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचेगा। उन्होंने भारत और चीन के रिश्ते का उदाहरण देते हुए कहा कि इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद है। इसके बावजूद दोनों के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत हैं। फिर ऐसा पाकिस्तान क्यों नहीं कर सकता है।
संविधान नहीं मानते पाकिस्तानी सेना के जनरल
फरहतुल्ला बाबर ने पाकिस्तानी सेना पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे जनरल कभी भी देश के संविधान को दिल से स्वीकार नहीं कर पाए हैं। सेना ने आर्थिक लाभ के लिए देश की सत्ता पर अपनी पकड़ रखी है। हमारी संसद भी पाकिस्तानी सेना की जिम्मेदारी तय करने में फेल रही है। सेना ने हमेशा से संघीय और लोकतांत्रिक ढांचे की अनदेखी की है।
सेना ने छोड़ा इमरान खान का साथ
पाकिस्तानी सेना ने भी अपने ऊपर बढ़ते दबावों को देखते हुए इमरान खान की मदद करने से इनकार कर दिया है। इसी कारण पाकिस्तान आर्मी चीफ के निर्देश पर हाल में ही चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के चेयरमैन और पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा ने भ्रष्टाचार के आरोपों पर अपना इस्तीफा दे दिया था। अब जल्द ही पाकिस्तानी सेना अपने अधिकतर जनरलों को सरकार की सेवा से हटाने जा रही है।
पाकिस्तान में कट्टर धार्मिक पार्टियों की ताकत बढ़ी
पाकिस्तान में इस्लामी पार्टियों का अस्तित्व हमेशा ही दोयम दर्जे का रहा है। ये पार्टियां किसी न किसी बड़ी पार्टी के पीछे लगकर उसके लिए धार्मिक वोटों को बटोरने का काम करती हैं। लेकिन पिछले साल इस्लामाबाद को घेरने के लिए मौलाना डीजल ने जो मोर्चेबंदी की थी, इससे उनकी लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई है। वहीं, इस समय पाकिस्तान की मुख्यधारा की विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) नेतृत्व विहीन हैं।