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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष से की मुलाकात


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मेजबानी में होने वाली पहली प्रत्यक्ष क्वाड बैठक से पहले यहां बृहस्पतिवार को अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने आर्थिक एवं लोगों के बीच संपर्क को और बढ़ाने से जुड़े विषयों पर व्यापक चर्चा की। मोदी और मॉरिसन के बीच यह बैठक दोनों नेताओं के फोन पर बातचीत करने के एक सप्ताह बाद हुई। दोनों नेताओं ने फोन पर बातचीत के दौरान भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की समीक्षा की थी।
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय ने ट्वीट कर कहा, ” ऑस्ट्रेलिया के साथ दोस्ती को विस्तार दे रहे हैं। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वार्ता की। दोनों नेताओं ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक एवं लोगों के बीच संपर्क को और बढ़ाने से जुड़े विषयों पर व्यापक चर्चा की।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बैठक को ”ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी में एक और अध्याय” करार दिया।
बागची ने ट्वीट कर कहा, ” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्कॉट मॉरिसन ने आज मुलाकात की। ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी में एक और अध्याय। क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों के साथ-साथ कोविड-19, व्यापार, रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा आदि से संबंधित क्षेत्रों में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की।”
इस बैठक का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 सितंबर को नयी दिल्ली में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष मारिस पायने और पीटर डटन के साथ ‘टू-प्लस-टू’ वार्ता की थी। पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और मॉरिसन द्वारा ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका) सुरक्षा साझेदारी का अनावरण किए जाने के बाद यह भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों के बीच पहली बैठक रही।
ऑकस साझेदारी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन से मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन के साथ एक सुरक्षा गठबंधन में शामिल होने के उसके फैसले का उद्देश्य उन क्षमताओं को विकसित करना है जो भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली ताकतों को रोकने में योगदान दे सकें।