टी-20 वर्ल्ड कप में सुपर-12 मुकाबले में पाकिस्तान ने भारत पर 10 विकेट से शानदार जीत दर्ज की। यह वनडे या टी-20 किसी भी वर्ल्ड कप में उसकी भारत पर पहली जीत थी। इससे पहले वर्ल्ड कप के लगातार 12 मुकाबलों में उसे टीम इंडिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इस लिहाज से रविवार की पाकिस्तान की जीत बहुत बड़ी थी जिसका वहां के क्रिकेट प्रेमियों को पिछले 29 सालों से इंतजार था। इतनी बड़ी जीत का जश्न तो मनेगा ही, लेकिन पाकिस्तान में इस जीत से ज्यादा चर्चा हिंदू-मुसलमान की है। मंत्री से लेकर दिग्गज पूर्व क्रिकेटर तक इसे इसी चश्मे से देख रहे हैं। कोई इसे हिंदुओं पर इस्लाम की जीत बता रहा है तो कोई इस बात पर सातवें आसमान में कूद रहा है कि हिंदुओं के बीच एक मुस्लिम खिलाड़ी ने मैदान में नमाज पढ़ी।
इमरान खान कैबिनेट का कोई मंत्री भारत-पाकिस्तान मैच को हिंदू-मुस्लिम रंग देता है तो इसमें हैरानी जैसी कोई बात नहीं है। अगर वह मंत्री शेख रशीद हो तब तो वह बयान तवज्जो के नहीं, हंसी के काबिल है। लेकिन अगर वकार यूनुस और शोएब अख्तर जैसे दिग्गज पूर्व क्रिकेटर ये भाषा बोले तो हैरानी जरूर होती है। अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार रहे दिग्गज अगर खेल को हिंदू-मुसलमान के नजरिए से देखते हैं तो यह शर्मनाक है। ‘खेल भावना’ क्या होती है यह भारत की हार के बाद विराट कोहली और मैच के हीरो मोहम्मद रिजवान की गले लगते तस्वीर बताती है। लेकिन अफसोस कि वकार यूनुस के अंदर का क्रिकेटर मजहबी कट्टरता में दबकर, घुटकर रह गया।
मैच में मोहम्मद रिजवान और बाबर आजम की सलामी जोड़ी ने भारतीय गेंदबाजी की बखिया उधेड़ कर दी। बिना विकेट खोए ही पाकिस्तान ने 152 रनों का लक्ष्य हासिल कर लिया, वह भी 13 गेंद बाकी रहते। मोहम्मद रिजवान ने सिर्फ 55 गेंदों में 79 रनों की जबरदस्त पारी खेली। बाबर आजम ने भी 52 गेंदों में नाबाद 68 रन बनाए। लेकिन वकार यूनुस को इस विस्फोटक पारी के बजाय रिजवान का हिंदुओं के बीच नमाज पढ़ना सबसे अच्छी बात लगी। एक टीवी न्यूज चैनल पर यूनुस ने कहा, ‘सबसे अच्छी बात जो रिजवान ने की कि उसने माशाअल्लाह… उसने ग्राउंड में खड़े होकर नमाज पढ़ी जो कि हिंदुओं के बीच में खड़े होके… तो वह बहुत स्पेशल था।’ जब एक पूर्व महान गेंदबाज खुद को एक धर्मांध कट्टरपंथी तक सीमित कर रहा था तब चैनल पर शोएब अख्तर मुस्कुरा रहे थे, एंकर भी इसका लुत्फ ले रहा था। दरअसल, टीम इंडिया की गेंदबाजी के वक्त ड्रिंक्स के दौरान रिजवान ने मैदान में ही नमाज पढ़ी थी।
ऐतिहासिक जीत के बाद पाकिस्तानी कॉमेंटेटर कैप्टन बाबर आजम से कुफ्र तोड़ने की बात करता है, जिसे दुनियाभर में देखा गया। मैच से पहले एक चैनल पर हरभजन सिंह के साथ चर्चा के दौरान भी शोएब अख्तर ने एक तरह से सीना ठोककर मुनादी की थी उन्हें टु नेशन थिअरी पर भरोसा है, हिंदू और मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते। पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने तो पाकिस्तान की जीत को हिंदुओं पर इस्लाम की जीत करार दे दिया। यहां तक कह दिया कि इस जीत से हिंदुस्तान के मुस्लिम भी खुश हैं।
नेताओं, पूर्व क्रिकेटरों से लेकर पाकिस्तानी क्रिकेट फैन्स तक जिस तरह से जीत के जश्न बजाय हिंदू-मुस्लिम में अटके हुए हैं, यह महज इत्तेफाक नहीं हो सकता। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उनका मकसद, उनका अजेंडा भारत में हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई पैदा करना है। मोहम्मद शमी को टारगेट कर रहे मुट्ठीभर ट्रोल भी जाने-अनजाने पाकिस्तान के अजेंडे को ही मजबूत कर रहे हैं। आतंकी घुसपैठ कराकर पाकिस्तान भारत को लहूलुहान करने की साजिश रचता रहता है। अब ‘हिंदू-मुस्लिम’ वाले वायरस से भी भारत को बीमार करने की साजिश रच रहा है।
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