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आषाढ़ नवरात्रि का महत्व- 11 जुलाई से 18 जुलाई 2021

वर्ष में चार बार आने वाली नवरात्रियों में से आषाढ़ माह की नवरात्रि का भी विशेष महत्व है… आषाढ़ माह की नवरात्रि शुक्ल पक्ष की एकम से नवमी तिथी तक होती है.. इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है… भड़ली नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना के साथ नवरात्रि का समापन होता है.. आषाढ़ माह इसलिए भी खास है क्योंकि इसकी शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है.. इस दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं इसी वजह से अगले चार महीने तक कोई भी विवाह एवं मांगलिक कार्य संपन्न नहीं होते हैं… चार माह बाद कार्तिक माह में आने वाली देवउठनी ग्यारस के दिन से भगवान के योगनिद्रा से वापस आने के बाद विवाह के योग पुन: प्रारंभ हो जाते हैं…

इंदौर के बिजासन माता मंदिर के मुख्य पुजारी श्री आनंद वन बताते हैं कि वर्ष में 40 नवरात्रि आती हैं और उसका दशांश चार नवरात्रि मुख्य मानी जाती है…आषाण शुक्ल पक्ष और माघ शुक्ल पक्ष की दो नवरात्रि गुप्त मानी गई है… वहीं चैत्र और क्वांर की नवरात्रि में ज्याद भीड़ होती है… ये चारों नवरात्रियां तीन-तीन महीने के अंतर पर आती हैं… इस दौरान बिजासन माता मंदिर में भक्तगणों विशेष रुप से दर्शन के लिए आते हैं… इस मंदिर के इतिहास और महत्व के बारे में उल्लेख करते हुए श्री वन बताते हैं कि यहां नवदुर्गा एक साथ हैं… और ये मंदिर करीब 800 साल पुराना है और वर्ष 1319 में स्थापित हुआ था… इतिहास पर रौशनी डालते हुए वो बताते हैं कि 12 वीं शताब्दी में जब मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान का जब युद्ध हुआ था उसके बाद राजा खेत सिंह ने बिजासन माता की हर गांव में स्थापना की थी… बाद में होल्कर वंश ने इस मंदिर को बनाया… आषाढ़ नवरात्रि के दौरान दुर्गा पाठ , हवन, भंडारा, यज्ञ और कन्या भोजन किया जाना चाहिए… इस नवरात्रि में भी नौ दिन देवियों की पूजा की जाती है जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, काल रात्रि, महागौरी  और सिद्धिदात्री की आराधाना की जाती है। सिद्धिदात्री ही अर्धनारिश्वर है और अर्धनारिश्वर ही बिजासन देवी है… बिजासन माता मंदिर में सुबह सात बजे और शाम को 8 बजे आरती होती है… और नवरात्रि के दिनों में सुबह छह बजे और रात को नौ बजे आरती का समय होता है.