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वनडे क्रिकेट के इतिहास में टीम इंडिया की सबसे बड़ी हार, ऑस्ट्रेलिया ने 234 गेंद शेष रहते 10 विकेट से जीता दूसरा वनडे

साल 2011 के बाद से भारतीय टीम ने न तो कोई वनडे वर्ल्ड कप जीता है और न ही टी20 वर्ल्ड कप में उसे ट्रॉफी हाथ लगी है. लगातार ICC के इन बड़े टूर्नामेंट में फ्लॉप होने के बाद इस साल टीम इंडिया से वर्ल्ड कप जीतने की खूब उम्मीदें की जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल वनडे वर्ल्ड कप भारत में ही खेला जाना है. हालांकि विशाखापट्टनम में खेले गए वनडे मुकाबले के नतीजे ने टीम इंडिया के वर्ल्ड कप जीतने की तैयारियों की पूरी पोल खोल दी है.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विशाखापट्टनम में आज (19 मार्च) खेले गए इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 234 गेंदें बाकी रहते हुए 10 विकेट से करारी शिकस्त दी. यह विकटों के लिहाज से और सबसे तेजी से टारगेट चेज़ करने के हिसाब से भारत की अब तक की सबसे बड़ी हार रही. भारतीय टीम इस मैच में महज 117 रन पर ऑलआउट हो गई थी और ऑस्ट्रेलिया ने महज 11 ओवर में ही ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए जीत दर्ज कर दी.
टीम इंडिया की इस शर्मनाक हार ने फैंस की उन उम्मीदों को करारा झटका दिया है, जो वह इस साल के वर्ल्ड कप से लगाए बैठे हैं. दरअसल, भारतीय टीम ने बल्लेबाजी की मददगार विकेट पर शुरुआत में जिस तरह एक के बाद एक लापरवाही से विकेट गंवाए और फिर टारगेट डिफेंड करने में भी वह जिस तरह से फेल रही, उससे यह साफ इशारा हो चुका है कि टीम इंडिया को अभी हर विभाग में खूब काम करने की जरूरत है.
बिखरती पारी को संभालने की जिम्मेदारी किसकी? – विशाखापट्टनम में हमेशा से अच्छा स्कोर बनता आया है. आज की पिच भी कुछ अलग नहीं थी. लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने यहां शुरुआत में लापरवाही दिखाई. शुभमन गिल और रोहित शर्मा खराब शॉट खेलकर आउट हुए. सलामी जोड़ी के पवेलियन जाने के बाद जब मिडिल ऑर्डर से प्रतिरोध दिखाया जाना चाहिए था तो यहां सूर्यकुमार यादव और केएल राहुल ने निराश किया. दोनों जल्दी-जल्दी पवेलियन लौट गए. इसके बाद विराट कोहली और रवींद्र जडेजा की भी एकाग्रता भंग हुई और ये भी चलते बने. 6 विकटें गिरने के बाद भारत के पुछल्ले बल्लेबाज भी कुछ कर पाने में बेबस रहे और टीम 117 रन पर सिमट गई.
वर्ल्ड कप में भारी पड़ेगी ऐसी लापरवाही – एक बैटिंग विकेट पर टीम इंडिया का इस तरह बिखर जाना बेहद चिंता का विषय है. ऐसा भी नहीं था कि ऑस्ट्रेलिया की ओर से बहुत अच्छी गेंदबाजी हो रही थी. यहां भारतीय बल्लेबाजों ने ज्यादातर विकेट तोहफे में दिए. अगर वर्ल्ड कप के दौरान भी किसी मुकाबले में भारतीय बल्लेबाज इस तरह की लापरवाही दिखा देते हैं तो यह ट्रॉफी निश्चित तौर पर भारत के हाथ से निकल जानी है.
छोटा टारगेट डिफेंड करने का जज्बा ही नहीं दिखा – बल्लेबाजी से ज्यादा चिंता का विषय गेंदबाजी रही. भले ही ऑस्ट्रेलिया के सामने 118 रन का छोटा सा लक्ष्य था लेकिन टीम इंडिया को यहां कुछ तो टक्कर देनी चाहिए थी, जैसे कि पिछले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने छोटे लक्ष्य के बावजूद एक समय टीम इंडिया पर बढ़त बना ली थी. लेकिन विशाखापट्टनम में भारतीय गेंदबाज और कप्तान ऑस्ट्रेलियाई सलामी जोड़ी पर कोई दबाव नहीं बना पाए. मिचेल मार्श और ट्रेविस हेड ने ताबड़तोड़ अर्धशतक जड़े और आसानी से अपनी टीम को जीत दिला दी. इस पूरे मैच में केवल एक बार भारतीय गेंदबाजों ने विकेट का मौका बनाया और वहां भी कैच टपका दिया गया.
कमियों को दूर नहीं किया तो भुगतने होंगे परिणाम – कुल मिलाकर भारतीय टीम ने इस मुकाबले में जिस तरह से समर्पण किया है, वैसा समर्पण खेल जगत में कम ही देखने को मिलता है. इसी आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भारतीय टीम अपने घरेलू मैदानों पर भले ही बहुत मजबूत रही हो लेकिन इस टीम में बिखरती पारी को संभालने से लेकर, छोटे टारगेट को डिफेंड करने और रणनीतियों को अच्छे से लागू करने और साहस दिखाने जैसी ढेरों कमियां हैं, जो आज के मैच में उजागर हो गई हैं. अगर समय रहते इन्हें नहीं सुधारा गया तो इस टीम से वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद करना बेवकूफी होगी.

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