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प्रतिबंधों से बेहाल रूस आया दोस्‍त भारत की शरण में, एयरक्राफ्ट से लेकर ट्रेन के पुर्जों की डिलिवरी लेने की रिक्‍वेस्‍ट


भारत के करीबी साथी रूस ने एक बार फिर भारत से बड़ी मदद मांगी है। एक रिपोर्ट की मानें तो रूस ने भारत को ऐसे प्रॉडक्‍ट्स की लिस्‍ट भेजी है जो उसके मुख्‍य सेक्‍टर्स से जुड़े हैं। इन प्रॉडक्‍ट्स की संख्‍या 500 से ज्‍यादा है। न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो रूस की तरफ से कार, एयरक्राफ्ट और ट्रेन के पार्ट्स की डिलीवरी की एक लिस्‍ट भारत को भेजी गई है। सूत्रों के हवाले से न्‍यूज एजेंसी ने बताया है कि प्रतिबंधों ने रूस की हालत खस्‍ता कर दी है और ऐसे में उसके सामने दोस्‍त की मदद लेने के अलावा कोई और रास्‍ता नहीं है। यूक्रेन की जंग जो इस साल 24 फरवरी को शुरू हुई थी, उसकी वजह से अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर रूस को कई तरह के कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि रूस की कुछ कंपनियों की तरफ से इस पूरे घटनाक्रम पर खासी चिंता भी जताई गई है। अब देखना होगा कि भारत अपने इस पुराने रणनीतिक साझीदार की मदद करने का रिस्‍क उठायेगा या नहीं।
ज्‍यादा जानकारी नहीं – जो लिस्‍ट भारत को भेजी गई है उसमें यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि कितने आइटम को रूस निर्यात करेगा। लेकिन भारत सरकार की तरफ से स्‍पष्‍ट कर दिया गया है कि रूस की यह रिक्‍वेस्‍ट असामान्‍य है। भारत के लिए भी यह रिक्‍वेस्‍ट फायदेमंद हो सकती है। सूत्रों की मानें तो भारत व्‍यापार बढ़ाने का इच्‍छुक है और यह लिस्‍ट इसमें मददगार साबित हो सकती है। कुछ कंपनियों ने हालांकि संभावित पश्चिमी प्रतिबंधों को लेकर चिंता भी जताई है। मॉस्‍को में एक सूत्र की तरफ से बताया गया है कि रूस के उद्योग और व्‍यापार मंत्रालय की तरफ से बड़ी कंपनियों से कच्‍चा माल और उपकरणों का सप्‍लाई करने के लिए कहा गया है।
अभी होगी अहम चर्चा – रूसी सरकार के सूत्रों की मानें तो यह तय हुआ है कि चर्चा के बाद सप्‍लाई की मात्रा और विशिष्‍टताओं पर कुछ तय होगा। यह कदम सिर्फ भारत तक सीमित नहीं होगा। रूस के व्यापार मंत्रालय के अलावा भारत के विदेश, वाणिज्य मंत्रालयों के साथ ही प्रधानमंत्री ऑफिस की तरफ से भी इस पर कोई जवाब देने से इनकार कर दिया गया है। सात नवंबर को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के दौरे पर गए थे और इसी दौरान यह अनुरोध किया गया था। अभी यह स्‍पष्‍ट नहीं हो सका है कि भारत की तरफ से इस पर रूस के तुरंत क्‍या जवाब दिया गया था।
भारत ने दिया दोस्‍त का साथ – जहां पूरी दुनिया ने यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे तो वहीं भारत ने इससे अलग रास्‍ता अपनाया। भारत ने अभी तक यूक्रेन जंग की वजह से रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की आलोचना नहीं की है। प्रतिबंधों के बावजूद भारत, रूस से तेल खरीद जारी रखे है। जयशंकर ने अपने दौर पर कहा था कि द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने के लिए भारत को रूस के साथ निर्यात बढ़ाने की जरूरत है।