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अनकही बातें: अगर पति करें बेइज्जती या गाली-गलोच तो क्‍या जरूरी है शादी बचाना?


महिलाओं के दिल में कितने अरमान होते है कि जब शादी हो जाएगी तो उसे उसके सपनों का राजकुमार मिलेगा। जहां कुछ पुरे हो जाते हैं वहीं कुछ सपने वही दिल में दबे रहते है। शादी के बाद शुरूआती दिनों में सब अच्छा लगता है लेकिन धीरे-धीरे प्यार लड़ाई-झगड़े में बदल जाता है। वहीं बारतीय पुरूष तो अपनी पत्नी के साथ गाली-गलोच तक उतर आती है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को समझ नहीं आता कि आखिर क्या करें और कहां जाएं?
कुछ पति को अपनी पत्नी को गालियां तक देने लगते हैं और उन पर हाथ उठाने लगते हैं। गाली गलोच और मार-पीट बहुत कॉमन है लेकिन भारतीय महिलाएं इसे अपनी आदत बना लेती हैं। मगर पति मार-पीट करता है तो आप समझ सकती है वो आपकी इज्जत तो बिल्कुल नहीं। वहीं अगर आपके बच्चे भी हो तो इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है।
बहकावे में ना आए
एक बार जिस पति का हाथ उठ गया फिर उसका रुकना बेहद मुश्किल है। कई बार ऐसा होता है कि हिंसा करने के बाद पति बेहद अफसोस जाहिर करते हैं यहां तक कि रोते भी हैं कि उनसे गलती हो गयी पर अगली बार फिर वही होता है क्योंकि ये एक मानसिक रोग या नशे की आदत जैसा हो जाता है।
परिवार वालों से करें बात
वैसे तो ऐसे पति के साथ रहना बेवकूफी है लेकिन अगर आप उनसे अलग नहीं होना चाहती तो सबसे पहले अने ससुराल वालों से इस बारे में बात करें। अगर वह भी आपकी बात सुनने को तैयार ना हो तो अपने माता-पिता से बात कर इसका हल निकालें।
फैसला करने से पहले खुद के बारे में जरूर सोचें
अक्सर महिलाएं समाजिक – पारिवारिक दवाब या इमोशनल बांडिंग के चलते ऐसे इंसान के साथ समझौता करने को राजी हो जाती हैं। ऐसा वो तब तक करती हैं जब तक वह पूरी तरह बिखर ना जाए या आगे बढ़ने के रास्ते बिलकुल बंद हो जाए। मगर ऐसे मामलों में सुरक्षा को नजरअंदाज करना कहां की समझदारी है। जब परिवार या समाज आपके दर्द में आपका साथ नहीं दे पा रहा, आपको बचा नहीं पा रहा तो बेहतर होगा कि आप ऐसे रिश्ते से बाहर निकलें।
बच्चे को कमजोरी ना बनाएं
अक्सर औरतें बच्चों को कमजोरी समझकर ऐसे रिश्ते में रहने के लिए तैयार हो जाती है। उन्हें लगता है कि बच्चे को पिता से दूर रखना सही नहीं है। मगर ये एक कमजोर दलील है, जो इंसान अच्छा पति नहीं बन सका वो अच्छा पिता कैसे बनेगा। दूसरी बात आज आप पति आपके साथ मारपीट या गाली गलोच करता है तो इसका असर आपके बच्चे की सोच और भविष्य पर भी पड़ता है इसलिए ऐसी दलीलों से खुद को ना बहलाएं और इस रिश्ते से बाहर निकलें। सिंगल मदर हमेशा लाचार मां से बेहतर विकल्प है।
डोमेस्टिक वायलेंस का केस
जरूर नहीं कि मार-पीट या शारीरिक प्रताड़ना को ही घरेलू हिंसा (Domestic Violence) कहा जाए। अगर आप अपने पति के साथ मानसिक तौर पर खुश नहीं है तो इसे भी डोमेस्टिक वायलेंस ही माना जाएगा। ऐसे में आप उनपर केस करके कंपनसेशन यानि महीने का खर्चा ले सकती हैं।
खर्चे की ना लें टेंशन
कई बार हाउसवाइफ यह सोचकर केस नहीं करती कि उनका केस का खर्चा कौन उठाएगा। वहीं अगर वो अलग हो जाती हैं तो उनका और बच्चों का क्या होगा। मगर आजकल औरतों के लिए इतने कानून बन गए हैं कि आपको किसी बात कि टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। अपने पति से अलग होने के लिए आप मेनटेनस या घरेलू हिंसा का केस डाल सकती हैं। ऐसे में कोर्ट आपके केस का खर्चा उठाएगा। इसके बाद पति से आपको मेनटेनस का खर्चा मिलेगा, जिससे आप अलग होने के बाद अपना खर्चा उठा सकती है।