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सूर्यग्रहण से क्यों रहता है गर्भवती महिलाओं को भय, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को 1 बजकर 42 मिनट से शाम 6 बजकर 41 मिनट से बीच घटित हो रहा है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण लगने से प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है।इसलिए धर्मग्रंथों में हर किसी को ग्रहण के दौरान संयम पूर्वक रहने की सलाह दी गई है। खास तौर पर गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान अपना खास ध्यान रखने की बात कही गई है। ऐसे में सूर्यग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए, अपने वीडियो में हम बताने जा रहे हैं।
साल के पहले सूर्यग्रहण को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, गर्भवती महिलाओं के मन में ग्रहण को लेकर चिंता का भाव बना हुआ है। लेकिन आपको बता दें कि इस सूर्यग्रहण को लेकर गर्भवती महिलाओं को जरा भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। दरअसल यह सूर्य ग्रहण भारत में अरुणाचल के कुछ हिस्सों और कश्मीर में दिखेगा और वह भी आंशिक रूप से। ऐसे में इसका सूतक भी पूरे देश में मान्य नहीं हैं। इसलिए इस सूर्यग्रहण से भय पालने की जरूरत नही है।
सूर्य ग्रहण से गर्भ पर प्रभाव : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण के दौरान राहु सूर्य को ग्रसित कर लेता है और सूर्य की किरणों में राहु का प्रभाव बढ़ जाता है जो गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंचाता है। जबकि वैज्ञानिक कारण यह है कि सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य से निकलने वाली रेडिएशन और अल्ट्रा वायलेट किरणें डीएनए तक को प्रभावित करती है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रतिकूल असर होता है। इससे बच्चे का विकास प्रभावित होता है। इसलिए प्राचीन काल से मान्यता चली आ रही है गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर के अंदर ही रहना चाहिए ताकि सूर्य की किरणें गर्भ पर ना पड़े। प्राचीन मान्यताएं यह भी कहती हैं कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीजों जैसे कैंची, चाकू, सिलाई कटाई के प्रयोग से बचना चाहिए। दरअसल ऐसी धारणा है कि इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव होता है।
सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए : सूर्यग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने इष्ट देव के मंत्रों का जप करना चाहिए। सूर्य चालीसा का पाठ करना भी इस समय अच्छा माना जाता है इससे गर्भ में पल रहे शिशु को सकारात्मकता मिलती है। मान्यता है कि इस दौरान गर्भवती महिला को कुश के आसन पर पर बैठना या लेटना चाहिए। कुश को नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने वाला माना जाता है। ग्रहण के सूतक काल शुरू होने से लेकर ग्रहण के खत्म होने तक गर्भवती महिलाओं को तामसिक भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए। दूध और फल का सेवन करने में कोई दिक्कत नहीं है।