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निखिल गुप्ता को भारत के खिलाफ ‘राज’ उगलने को किया जा रहा मजबूर? ट्रंप प्रशासन ने जोड़े नये आरोप, दिल्ली के सामने विकट स्थिति?


जो बाइडेन के प्रशासन ने निखिल गुप्ता मामले में भारत को काफी परेशान किया था। अमेरिका के दवाब के बाद भारत को एक जांच टीम का गठन करना पड़ा था। बाइडेन प्रशासन का आरोप था कि गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश में एक भारतीय अधिकारी शामिल था। निखिल गुप्ता को चेक रिपब्लिक में गिरफ्तार किया गया था।
डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अपने करीब डेढ़ महीने के कार्यकाल के दौरान भारत को परेशान कर दिया है। टैरिफ और व्यापार युद्ध में उलझाने के बाद ट्रंप प्रशासन ने अब निखिल गुप्ता के मामले में भारत को तकलीफ में डालना शुरू कर दिया है। खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश रचने के आरोप में अमेरिकी जेल में बंद निखिल गुप्ता के खिलाफ नये आरोप लगाए गये हैं। अमेरिकी प्रॉसीक्यूटर्स ने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिला न्यायालय को बताया है कि वो भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी जोड़ें जाएंगे। अमेरिकी अधिकारियों ने अभी तक निखिल गुप्ता के खिलाफ सिर्फ दो धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। उनके खिलाफ पन्नून की हत्या की साजिश रचने और हत्या के लिए सुपारी देने के आरोप लगाए थे। लेकिन अब उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का भी मुकदमा चलाया जाएगा।
अभी तक जिन दो आरोपों में उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है, उनमें उन्हें 10-10 साल की सजा हो सकती है। लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग का चार्ज लगने के बाद 20 साल की सजा और बढ़ जाएगी। यानि आरोप साबित होने पर उन्हें 40 साल जेल में रहना होगा। निखिल गुप्ता 14 जून 2024 से ही अमेरिका की जेल में बंद हैं। उन्हें ब्रुकलिन में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। उन्हें चेक रिपब्लिक के प्राग में अमेरिकी अधिकारियों के कहने पर 30 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें अमेरिका को सौंप दिया गया।
निखिल गुप्ता बहाना, भारत पर निशाना? – ट्रंप प्रशासन के आने के बाद अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने ये नया कदम उठाया है। रिपोर्ट के मुताबिक निखिल गुप्ता को अपना जुर्म कबूल करने के लिए मजबूर किया जाएगा, जो ट्रंप प्रशासन की भारत के खिलाफ दवाब बनाने की रणनीति का हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि निखिल गुप्ता को चेक गणराज्य से लाने के लिए उनके खिलाफ सिर्फ 2 आरोप लगाए गये थे। द संडे गार्डियन को पिछले साल 18 अगस्त को दिए गये एक इंटरव्यू में निखिल गुप्ता ने कहा था कि पन्नून हत्याकांड में उनका नाम आना FBI की साजिश का एक हिस्सा है। उन्होने कहा था कि उन्हें फंसाया जा रहा है।
25 फरवरी को अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने विक्टर मार्रेनो की अदालत को जानकारी दी है कि निखिल गुप्ता मामले में उन्हें चेक गणराज्य से किसी नये इजाजत की जरूरत नहीं है। क्योंकि निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका ने चेक गणराज्य को जो सबूत सौंपे थे, उन्हीं सबूतों के आधार पर उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गये हैं। संडे गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस डिपार्टमेंट को चिट्ठी लिखकर जब ‘विशेषता के नियम’ को माफ करने पर जानकारी मांगी गई, तो कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके अलावा चेक न्याय मंत्रालय ने भी संडे गार्डियन के ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया है। 17 फरवरी को अमेरिकी प्रॉसीक्यूटर्स ने कोर्ट को बताया कि निखिल गुप्ता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप को जोड़ने के लिए चेक गणराज्य से ‘विशेष छूट’ लेने की योजना बना रहे हैं।
निखिल गुप्ता मामले में भारत की प्रतिक्रिया क्या है? – द संडे गार्डियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 फरवरी को निखिल गुप्ता ने अपने वकील माइकल रूनी, जो अमेरिका के संघीय बचावकर्ता वकील हैं, उनके जरिए उन्होंने न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास को पत्र लिखकर “जितनी जल्दी हो सके” मुलाकात का अनुरोध किया था। इस चिट्ठी के करीब एक महीने बाद वाणिज्य दूतावास के 2 अधिकारियों ने निखिल गुप्ता से मुलाकात की थी। इस दौरान निखिल गुप्ता ने एक निजी वकील नियुक्त करने के लिए सहायता मांगी थी, लेकिन भारतीय अधिकारियों की तरफ से उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला। रिपोर्ट के मुताबिक एक तरह से भारतीय अधिकारियों ने मदद से इनकार कर दिया।