शनिदेव न्याय प्रिय देवता मानें जाते हैं। लेकिन लोगों के बीच इनकी धारणाएं गलत बनी हुई हैं। माना जाता है कि शनि ग्रह क्रूर है। किंतु शनिदेव अत्यंत विशिष्ट देव हैं। उनका प्रताप ऐसा है कि वे राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। आज आपको उनकी कुछ एेसी बातों के बारे में बताएंगे जो कम ही लोगों को पता होगी। आइए जानतें हैं-
शनिदेव सूर्य के पुत्र हैं। शनिदेव मृत्युलोक के अधिपति मानें जाते हैं। जो समय आने पर अच्छे-बुरे कर्मों के आधार न्याय करते हैं और अपनी गलती सुधारने का मौका भी देते हैं।
शनिदेव का रंग काला है और यहीं रंग एेसा है जिस पर कोई ओर रंग नहीं चढ़ सकता है।
शनि का धातु लौह-इस्पात है, जो सबसे अधिक उपयुक्त तथा शक्तिशाली है।
शनिवार के दिन शनि मंदिर में किसी गरीब को दान के रुप में तेल, कोयला, लौह, काला तिल, उड़द, जूता, चप्पल दिया जाता है।
शनिदेव की स्थापना करने के लिए समय और श्रम का आंशिक दान सर्वोत्तम दान माना जाता है।
किसी भी आराधना, साधना, सिद्धि के लिए शनिदेव की उपासना अवश्यक है।
रोगमुक्ति तथा आयुवृद्धि के लिए शनिदेव की आराधना करनी चाहिए।
शनिदेव के अनेक नाम हैं तथा उनका कार्यक्षेत्र विस्तृत तथा विशाल है।
शनि का वाहन गिद्ध और रथ लोहे का बना हुआ होता है।
शनिदेव को उड़द की दाल से बने बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय है अत: शनिवार को लड्डू का भोग लगाकर लोगों में बांटना चाहिए।