
रामचरितमानस एक एेसा ग्रंथ है, जिसके श्लोक मानव के बहुत ही लाभदायक साबित हो सकते हैं। मान्यता के अनुसार रामचरितमानस के पाठ से श्री राम के साथ-साथ भोलेनाथ की भी कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि रामचरितमानस पाठ से पहले शिव जी की पूजा करना बहुत ज़रूरी होता है। आज हम आपको एेसे ही कुछ श्लोकों के बारे में बताएंगे जिसमें राम जी के साथ-साथ शिव जी की कृपा प्राप्ति के बारे में बताया है।
पहला दोहा
पहला श्लोक है – “वन्दे बोधमयं नित्यं गुरु , शंकर रूपिणम।
यमाश्रितो हि वक्रोपि , चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते”
अर्थात-
इस श्लोक में शिव जी को गुरु रूप में प्रणाम करके उनकी महिमा बताई गई है। कोई भी पूजा उपासना करने के पूर्व इस श्लोक को पढ़ लेना चाहिए ताकि पूजा का पूर्ण फल मिल सके। अगर पूजा में कोई समस्या आ जाय तो शिव कृपा से वह समाप्त हो जाती है.
दूसरा दोहा
दूसरा दोहा है – “महामंत्र जोई जपत महेसू , कासी मुकुति हेतु उपदेसू”
अर्थात-
जब भी आप मंत्र जाप करना या सिद्ध करना चाहते हों उसके पहले यह दोहा पढना चाहिए। शिव जी की कृपा से तुरंत ही मंत्र सिद्ध भी होता है और प्रभावशाली भी।
तीसरा दोहा
तीसरा दोहा है – “संभु सहज समरथ भगवाना , एही बिबाह सब विधि कल्याणा”
अर्थात-
जब संतान के दाम्पत्य जीवन में समस्या आ रही हो तब इस दोहे का प्रभाव अचूक होता है। नित्य प्रातः शिव जी के समक्ष इस दोहे का 108 बार जाप करें, फिर अपने संतान के सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें।
चौथा दोहा
चौथा दोहा है – “जो तप करे कुमारी तुम्हारी , भावी मेटी सकही त्रिपुरारी”
अर्थात-
अगर जीवन में ग्रहों या प्रारब्ध के कारण कुछ भी न हो पा रहा हो तो यह दोहा अत्यंत फलदायी होता है। इस दोहे को चारों वेला कम से कम 108 बार पढ़ने से भाग्य का चक्र भी बदल सकता है। परन्तु कुछ ऐसी कामना न करें जो उचित न हो।
पांचवा दोहा
पांचवा दोहा है “तव सिव तीसर नयन उघारा , चितवत कामु भयऊ जरि छारा”
अर्थात-
अगर मन भटकता हो और अत्यंत चंचल हो तो यह दोहा लाभकारी होता है। जो लोग काम चिंतन और काम भाव से परेशान हों उनके लिए यह दोहा अत्यंत प्रभावशाली है।
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