शोधपरक ज्योतिषीय विश्लेषणः ज्योतिषाचार्य आशीष ममगाईं, भारत +917771873069
डाॅट से 2 हजार गुना छोटे, मगर प्रभावी वायरस कोरोना की नामराशि कुंडली मिथुन का अध्ययन करने पर हमारे सामने कई रोचक तथ्य सामने आएं। लग्न भाव में राहू स्वयं के नक्षत्र आद्र्रा का गौचर कर रहे हैं। इस राशि-नक्षत्र में राहू को बलवान समझा जाता है। वहीं, दूसरी ओर अंकशास्त्र के हिसाब से वर्ष 2020 का योगांक 4 भी राहू का ही प्रतिनिधित्व करता है। भारतदेश की कुंडली जो कि कर्क राशि की बनती है, के द्वादश भाव से राहू का गौचर चल रहा है जो आगामी सितंबर 2020 तक चलेगा। जिसे श्रेष्ठ नहीं समझा जा सकता है। वहीं, वर्तमान जगतलग्न कुंडली में राहू की स्थिति अष्टम भाव में बनी हुई है। कालपुरूष की कुंडली की बात कर ली जाए, तो अष्टम से अष्टम भाव यानी तीसरे भाव से राहू गौचर कर रहे हैं। एक महत्वपूर्ण बिंदु राहू और केतु के साथ मिलकर कालसर्प योग का निर्माण गत 17 मार्च से एक अप्रैल तक किया हुआ था। इतने सारे कारण तो बहुत हो जाते हैं तथाकथित वायरस के संबंध में डर एवं भ्रम का वातावरण निर्माण करने के लिए और ऐसा वास्तविकता में हुआ भी। क्योंकि देश-दुनिया का सामना ऐसे वायरस से हुआ जिसकी कोई संरचना, औषधि हमारे पास नहीं थी। आद्र्रा नक्षत्र में राहू आगामी 21 मई तक रहने वाले है, अतः उपरोक्त अवधि के बाद विश्व के देशों में इस वायरस को लेकर अत्यधिक भय और भ्रम का वातावरण होना प्रारंभ हो जाएगा। अब बात आती है कि चीन के एक शहर वुहान से यह वायरस कैसे यह दुनिया के देशों में फैल गया? इसका श्रेय 26 दिसंबर 2019 के सूर्यग्रहण के काल एवं ग्रहस्थिती को जाता है।
ग्रहणकालीन बृहस्पति-केतु युति पुनः बनी महामारी का कारण-
सौ साल पहले 1918 में स्पेनिश फ्लू नामक आपदा आई थी। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से उस समय की ग्रह स्थितयों को देखें तो कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निकलकर सामने आते हैं। उस समय में भी सूर्यग्रहण पडा था, ग्रहणकाल में पंचग्रह योग बना था, उपरोक्त पंचग्रही योग में बृहस्पति एवं केतु की युति थी। इस बार भी सूर्यग्रहण 26 दिसंबर, 2019 को पडा था, इस बार षष्ठग्रहीय योग का निर्माण हुआ था। सौ साल पहले और गत दिसंबर 2019 के सूर्य ग्रहण में कामन बात रही, बृहस्पति एवं केतु की युति। इससे एक बात सिद्ध होती है ग्रहणकाल में पंच अथवा षष्ठग्रहीय योग आपदा को आकर्षित कर सकते हैं, विशेषरूप से उपरोक्त ग्रहयुतियों में केतु एवं बृहस्पति का साथ हो तो।
उल्लेखनीय है कि सौ वर्ष पूर्व 1918 के स्पेनिश फ्लू से दुनियाभर में 50 करोड से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे। दो से पांच करोड लोगों की मृत्यु हुई थी। यह आंकडा प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की संख्या से ज्यादा है। स्पेनिश फ्लू ने लगभग दो वर्ष तक कोहराम मचाया था। वर्तमान कोरोना वायरस ने इस वक्त दुनिया में 8 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित चुका है।
उच्च का सूर्य बनेगा वरदान-
वर्तमान में सूर्य मीन राशि में गौचर कर रहे हैं। उनका अगला गौचर मेष राशि में आगामी 14 अप्रैल से प्रारंभ होगा। यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण गौचर विज्ञान एवं ज्योतिष दोनों के हिसाब से होगा। इसका ज्योतिषीय कारण यह है कि उपरोक्त राशि में सूर्य उच्च के हो जाएंगे। सूर्य चूंकि आत्मा के कारक ग्रह है अतः तथाकथित वे लोग जो इस वायरस की भयावकता नहीं समझ रहे हैं, सरकार के नियमों की खिलाफत कर रहे हैं, उनके पक्ष में आने की संभावना बलवती होगी। विज्ञान के हिसाब से इस गौचर को समझें, तो सूर्य के प्रकाश में तमाम बैक्टेरिया को मारने की क्षमता होती है अतः गत माह के ग्रहण और फिर कालसर्प योग के कारण जो बैक्टेरिया पनपे या यूं कह लें बैक्टेरिया को पनपने में जो वातावरण का निर्माण हुआ, वह वातावरण एवं बैक्टेरिया का प्रभाव निश्चित रूप से विश्व में कम होगा।
भारत बना सकता है कोरोना की दवा
औषधि का कारक ग्रह बृहस्पति, गत मार्च अंत से मकर राशि में आ गए हैं, वे यहां लगभग तीन माह रहेंगे। मकर राशि में हालांकि वे नीच के हो जाते हैं, मगर चूंकि यहां पर उन्हें उच्च के मंगल का साथ उन्हें मिलेगा, अतः बृहस्पति की नीचता भंग होगी। 14 मई को बृहस्पति वक्र होंगे। अप्रैल मध्य से उच्च के सूर्य का गौचर तथा मई मध्य से बृहस्पति का अपनी नीच राशि में वक्र होना इस वायरस के स्वदेशी दवा बनाने का योग निर्मित करेगा। भारतदेश की कुंडली में वर्तमान में राहू के साथ बुध का अंतर चल रहा है। बुध को चूंकि नवसंवत्सर में राजा का पद प्राप्त है, वे 22 अप्रैल से अस्त होकर 16 मई को उदय होंगे। अतः संभावना बनती है कि मई माह में देश-दुनिया के वैज्ञानिक इस वायरस का एंटी डोज तैयार कर लें। भारतदेश की कुंडली में अप्रैल और मई में चूंकि सूर्य का गौचर दशम तथा एकादश भाव में होने के कारण भारत की प्रसिद्धि उपरोक्त वायरस की रोकथाम को लेकर किए गए प्रयासों के कारण विश्व में लहरा उठेगी तथा भारत विश्व के देशों को भी कोरोना वायरस से लडने एवं निजाद दिलाने में मदद कर सकता है।
मोदी बतौर प्रधानमंत्री के सितारे
मोदीजी की वृश्चिक राशि की जन्मकुंडली में इस वक्त पराक्रम भाव की बहुत मजबूत स्थिति दिखाई पड रही है। पराक्रम भाव में उच्च के मंगल, स्वग्रही शनि एवं नीचभंग योग में बृहस्पति का गौचर चल रहा है। यह युतियां निश्चित रूप से उनका पराक्रम बढाने वाली सिद्ध होंगी। इसके अतिरिक्त आगामी 14 अप्रैल से उच्च के सूर्य का गौचर उनके छटवें भाव से होगा, जो उनके विरोधियों को परास्त करने में सहयोग प्रदान करेगा तथा उनकी छवि एक मजबूत नेता के रूप में उभरकर सामने आएगी। उपरोक्त गौचर में विश्व के देश उनके प्रयासों एवं पराक्रम को सराहेंगे, उनके अपेक्षा एवं सहयोग की आशा रखेंगे।
उपरोक्त ग्रहगौचर के ओवरआॅल आकलन कर संभावना बनती है कि कोरोना का प्रभाव आगामी कुछ माहों तक रह सकता है। ईश्वर ने चाहा, तो वायरस का एंटी डोज देश अथवा दुनिया के देशों में अप्रैल-मई में तैयार हो जाएगा। उपरोक्त अवधि में स्वदेश में भी इसके तैयार होने की पूरी संभावना है। इस एंटी डोज का सुरक्षात्मक टीका देश-दुनिया के प्रत्येक नागरिक को पहुंचने में तीन से चार माह लग सकते हैं, यानी अगस्त-सितंबर। उपरोक्त माहों में भारत विश्वशक्ति एवं समाधान प्रदाता देश के रूप में उभरकर सामने आ सकता है। इतिशुभ।