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Coronavirus के दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन पर कम असरदार है Oxford-AstraZeneca की वैक्सीन, कैसे होगा बचाव?


कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया के लिए उम्मीद बनी ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी-AstraZeneca की वैक्सीन दक्षिण अफ्रीका में पाए गए वेरियंट पर कम असरदार है। शुरुआती डेटा में ये नतीजे पाए गए हैं। यह ट्रायल सिर्फ 2,026 लोगों पर किया गया था और इसमें कम गंभीर बीमारी के प्रति सीमित असर देखा गया। इन लोगों को म्यूटेट हो चुके वायरस से इन्फेक्शन हुआ था। कंपनी का कहना है कि अब नए वायरस के लिए इसी वैक्सीन को तैयार किया जाएगा और जल्द ही यह तैयार हो जाएगी।
स्टडी में किया मिला? : दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ द विटवॉटर्सरैंड और ऑक्सफर्ड की स्टडी के दौरान किसी की मौत नहीं हुई और न ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। अभी स्टडी के नतीजे पब्लिश नहीं हुए हैं। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि इस छोटे पहले चरण के ट्रायल में शुरुआती डेटा में B.1.351 दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट के कारण कम गंभीर बीमारी के खिलाफ सीमित असर देखा गया है। हालांकि, अभी गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती किए गए लोगों पर इसके असर को स्टडी नहीं किया जा सका है।
इन तीन वेरियंट्स पर चिंता : इस स्टडी में शामिल वॉलंटिअर्स की औसतन उम्र 31 साल रही जिसमें आमतौर पर लोग इन्फेक्शन का शिकार नहीं होते हैं। महामारी के इतने महीने में कोरोना वायरस हजारों बार म्यूटेट हुआ है लेकिन वैज्ञानिकों को तीन वेरियंट्स को लेकर चिंता है जो पहले से ज्यादा संक्रामक हैं। इनमें ब्रिटेन के केंट, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के वेरियंट शामिल हैं। इनमें से दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट वैक्सीन के खिलाफ प्रतिरोधी मालूम पड़ रहा है और दुनिया के कई हिस्सों में पाया जा चुका है।
बाकी वैक्सीनों का क्या हाल? : वहीं, जॉनसन ऐंड जॉनसन और नोवावैक्स ने भी बताया है कि उनकी वैक्सीनें नए स्ट्रेन के खिलाफ असरदार नहीं हैं। इसी तरह मॉडर्ना नए वेरियंट के लिए बूस्टर शॉट तैयार कर रही हैं जबकि Pfizer-BioNTech की वैक्सीन भी कम असरदार मिली है। ब्रिटेन ने ऑक्सफर्ड की वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकें खरीदी हैं और लाखों लोगों को वैक्सिनेट किया जा रहा है। दूसरी ओर, सफर न करने वाले लोगों में वेरियंट के 11 मामले सामने आने से कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का खतरा पैदा हो गया है जिसके चलते टेस्टिंग तेज की जा रही है।