Thursday , March 28 2024 9:02 PM
Home / Uncategorized / हर मर्ज की दवा है भारत… मुल्क के लिए नहीं मांगनी पड़ती ‘भीख’, अगर शहबाज ने मान ली होती ‘पाकिस्तान के अंबानी’ की सलाह

हर मर्ज की दवा है भारत… मुल्क के लिए नहीं मांगनी पड़ती ‘भीख’, अगर शहबाज ने मान ली होती ‘पाकिस्तान के अंबानी’ की सलाह

‘पाकिस्तान के अंबानी’ को किया नजरअंदाज, भुगत रहे नतीजे – इस्लामाबाद : पाकिस्तान वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट की चपेट में है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें पिछले साल आई बाढ़ ने बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन इस संकट की भविष्यवाणी पिछले साल ही कर दी गई थी। पाकिस्तान के सबसे अमीर शख्स अरबपति बिजनसमैन मियां मांशा ने कहा था कि पाकिस्तान को भारत की शरण में चले जाना चाहिए। लेकिन नए-नए प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ ने उनकी सलाह पर ध्यान नहीं दी। राजनीतिक अस्थिरता की वजह से पहले इमरान खान और फिर शहबाज शरीफ ने अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान नहीं दिया।
इमरान खान की सरकार में ही पाकिस्तान महंगाई की चपेट में आ चुका था और देश भारी कर्ज के बोझ तले दब गया था। इमरान के बाद जब शहबाज शरीफ सत्ता में आए तो उनके सामने भी वही चुनौतियां थीं जिन पर इमरान को घेरा जा रहा था। भयानक आर्थिक संकट पाकिस्तान की ओर बढ़ रहा था लेकिन शहबाज ने इसे नजरअंदाज किया। फिर एक प्रलयकारी बाढ़ ने हालात और खराब कर दिए। इस संकट की भविष्यवाणी पाकिस्तानी बिजनसमैन मियां मांशा ने पिछले साल ही कर दी थी।
भारत के साथ सुधारने होंगे संबंध’ – मियां मांशा को पाकिस्तान का ‘अंबानी’ कहा जाता है। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि पाकिस्तान को IMF के साथ डील करनी चाहिए और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को भारत के साथ बंद चल रही सीमा को खोल देना चाहिए। भारत को पाकिस्तान के हर मर्ज की दवा बताने वाले मियां मांशा ने कहा था कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए भारत के साथ रिश्ते सुधारने होंगे और व्यापार शुरू करना होगा।
विदेशी मदद पर निर्भर पाकिस्तान – एक डेटा के अनुसार, इस समय पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 4.3 अरब डॉलर तक सिकुड़ गया है। फरवरी 2014 के बाद से यह अपने सबसे निचले स्तर पर है। पाकिस्तान पूरी तरह से विदेशी मदद पर निर्भर हो चुका है। शहबाज शरीफ कर्ज के लिए सऊदी अरब और चीन के आगे हाथ फैला रहे हैं। कुछ दिनों पहले शहबाज ने कहा था कि मित्र देशों से कर्ज मांगते हुए उन्हें ‘शर्म’ आती है। ‘वास्तव में कर्ज लेना पाकिस्तानी की समस्या का हल नहीं है क्योंकि इसे लौटाना भी पड़ता है।’