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कुलभूषण जाधव केस: पाकिस्तान ने खारिज की भारतीय वकील या क्वींस काउंसल की मांग


भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान कैसे भारत के सहयोग का नाटक कर रहा है, इसका उदाहरण उसने फिर से दे दिया है। भारत ने अपील की थी कि जाधव की सजा पर पुनर्विचार के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए एक भारतीय वकील या ‘क्वींस काउंसल’ को नियुक्त करना चाहिए। इस पर पाकिस्तान ने साफ इनकार कर दिया है।
पाकिस्तान ने किया खारिज
बता दें कि ‘क्वींस काउंसल’ (Queen’s Counsel) एक ऐसा बैरिस्टर या अधिवक्ता होता है, जिसे लॉर्ड चांसलर की सिफारिश पर ब्रिटिश महारानी के लिए नियुक्त किया जाता है। भारत की मांग को खारिज करते हुए पाकिस्तान ने कहा है कि ऐसा बिल्कुल मुमकिन नहीं है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान में कोई ऐसा वकील ही केस लड़ सकता है जिसके पास पाकिस्तान की बार का लाइसेंस हो।
फैसले के खिलाफ अपील को 4 महीने और
पाकिस्तान की संसद ने उस अध्यादेश की अवधि चार महीने बढ़ा दी है, जो जाधव को अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देता है, जैसा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने कहा था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान सरकार आईसीजे के फैसले का बखूबी क्रियान्वन करने पर अपने दायित्वों को पूरा नहीं कर पाई है।

इस्लामाबाद कोर्ट ने भी लगाई थी फटकार
उन्होंने कहा था, ‘उसे अभी मुख्य मुद्दों का हल करना बाकी है, जिनमें मामले से जुड़े सभी दस्तावेज शामिल कर जाधव को बिना शर्त और बेरोक-टोक राजनयिक पहुंच मुहैया करना और स्वतंत्र-निष्पक्ष सुनवाई के लिए एक भारतीय वकील या क्वींस काउंसल नियुक्त करना शामिल है।’ इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने संघीय सरकार को निर्देश दिया था कि वह भारत को जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील नियुक्त करने का एक और मौका दे। साथ ही सुनवाई एक महीने के लिए स्थगित कर दी थी।
भारत को राजनयिक पहुंच देने को कहा था
जाधव तक राजनयिक पहुंच देने से मना किए जाने पर भारत ने 2017 में पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे का रुख किया था और एक सैन्य अदालत द्वारा उन्हें जासूसी और आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 में सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी थी। हेग स्थित आईसीजे ने जुलाई 2019 में यह फैसला दिया कि पाकिस्तान को जाधव (50) की दोषसिद्धि और सजा की अवश्य ही प्रभावी समीक्षा करनी चाहिए और पुनर्विचार करना चाहिए। साथ ही, बगैर देर किये जाधव को भारत द्वारा राजनयिक पहुंच मुहैया कराने देने को भी कहा था।