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शशिकला को सत्ता के बजाय जेल

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अन्नाद्रमुक प्रमुख वीके शशिकला का राजनीतिक भविष्य शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रही शशिकला को अब जेल जाना होगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में शशिकला व उनके दो रिश्तेदारों वीएन सुधाकरण और जे. इलावरसी को बरी करने का कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला रद कर दिया।

तीनों को भ्रष्टाचार के जुर्म में चार-चार साल की कैद व दस-दस करोड़ रुपये जुर्माने की सजा पर अपनी मुहर लगा दी। कोर्ट ने तीनों को तत्काल सरेंडर करने को कहा है। भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी होने के कारण शशिकला दस साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गई हैं। कानून के मुताबिक सजा पूरी होने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने की अयोग्यता रहती है। हालांकि जयललिता की मृत्यु हो जाने के कारण कोर्ट ने उनके खिलाफ मामला खत्म कर दिया है।

शशिकला के मंसूबों पर पानी फेरने वाला ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति पीसी घोष व न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार और डीएमके नेता के. अनबजगन की अपीलें स्वीकार करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट का 11 मई 2015 का आदेश रद कर दिया। हाई कोर्ट ने चारों को बरी कर दिया था। जबकि बेंगलुरु की ट्रायल कोर्ट ने भ्रष्टाचार में सभी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।

कैद और जुर्माने के अलावा ट्रायल कोर्ट ने चारों की संपत्तियां भी जब्त करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकसेवक को आपराधिक दुराचार के लिए उकसाने पर प्राइवेट व्यक्तियों को दोषी ठहराने का ट्रायल कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है।

संपत्ति हड़पने के लिए थे साथ

कोर्ट ने यहां तक कहा कि सभी अभियुक्त जयललिता की संपत्ति हथियाने की साजिश के तहत ही खून का रिश्ता न होते हुए भी उनके साथ घर पर रहते थे। एक खाते से दूसरे खाते में पैसे के लेनदेन से साबित होता है कि ये जयललिता की गैरकानूनी कमाई को कंपनियों के नाम संपत्ति खरीदने में खपाने की साजिश थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के दिये कारणों से वह पूरी तरह सहमत है।

साढ़े तीन साल रहेंगी जेल में

शशिकला शुरुआत में छह महीने जेल में रही हैं। ऐसे में बाकी की सजा उन्हें भुगतनी होगी। यानी तीन साल छह महीने तक जेल में रहना में होगा। वैसे शशिकला पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती हैं। अगर यह याचिका खारिज हुई तो क्यूरेटिव याचिका भी दायर कर सकती हैं। हालांकि फैसला बदलने के आसार अब बहुत कम हैं।

20 साल पुराना था मामला

इन सभी पर आरोप थे कि जयललिता के पहले मुख्यमंत्रित्वकाल (1991-1996) में इन्होंने 66.65 करोड़ रुपये की संपत्ति जुटाई। इनमें 53.60 करोड़ संपत्ति आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक पाई गई। 1996 में तत्कालीन जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्माण्यम स्वामी ने यह मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में बेंगलुरु की निचली अदालत ने 2014 में सभी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। इससे जयललिता को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।

जयललिता को चार साल कैद और सौ करोड़ रुपये जुर्माने की सजा मिली थी। जबकि शशिकला और अन्य को चार-चार साल कैद व 10-10 करोड़ जुर्माने की सजा दी थी। लेकिन 11 मई, 2015 को कर्नाटक हाई कोर्ट ने ट्रॉयल कोर्ट का फैसला पलटते हुए सभी को बरी कर दिया। इसके बाद जयललिता फिर से मुख्यमंत्री बन पाईं। कर्नाटक सरकार और अन्य ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल सात जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फैसले का आधार

साबित हुआ है कि शशिकला, सुधाकरण और इलावरसी ने लोकसेवक (जयललिता) को आपराधिक दुराचार के लिए उकसाया और साजिश रची।

– कानून से बचने के मकसद से ही जयललिता ने जया पब्लिकेशन के लिए शशिकला को जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी।

– संपत्ति गणना अवधि के दौरान विभिन्न कंपनियों का गठन भी पक्षकारों के बीच साजिश साबित करता है।

– एक दिन में 10 कंपनियां बनाईं। कोई व्यापार न करते हुए भी शशिकला और सुधाकरण ने अपनी अलग कंपनियां बनाईं और संपत्तियां खरीदीं।

– सभी कंपनियां जयललिता के घर से ही संचालित होती थीं।

– तीनों के आय के स्त्रोत अलग नहीं हैं। इन लोगों ने कंपनियों का गठन और जमीन जयललिता के पैसे से खरीदीं।

पलानीस्वामी ने किया सरकार बनाने का दावा

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही शशिकला ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही उनके वफादार ईके पलानीस्वामी को विधायक दल का चुन लिया गया। पलानीस्वामी ने शाम को राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।

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