
काठमांडू: नेपाल से मुसलमानों की मांग का एक एेसा अप्रत्याशित मामला सामने आया है, जिसे जानकर दुनिया हैरान है। यहां के मुसलमानों ने सिर्फ हिंदू राष्ट्र का समर्थन ही नहीं किया है, बल्कि इसकी मांग भी की है। हिंदू राष्ट्र से जुड़े अभियान को लेकर इनका कहना है कि ये लोग एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की तुलना में हिंदू राष्ट्र में खुद को ज़्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं। राष्ट्रीय मुस्लिम समाज के प्रमुख अमजद अली ने कहा ये इस्लाम की सुरक्षा के लिए है। मैंने हिंदू राष्ट्र की यह मांग इसलिए की है, ताकि हमारा धर्म सुरक्षित रहे। अमजद अली उस विरोध अभियान का हिस्सा हैं, जिसके तहत हिंदू राष्ट्र की मांग की जा रही है।
सीपीएन-यूएमएल के सदस्य अनारकली मियां ने कहा कि उन्हें निजी तौर पर लगता है कि मिशनरी वाले लोगों को ईसाई बनाने की मुहिम चला रहे हैं। मियां ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि नेपाल को धर्मनिरपेक्षता अपनानी चाहिए। इससे भविष्य में और दिक्कतें आएंगी।” यूसीपीएन (माओवादी) की सहयोगी मुस्लिम मुक्ति मोर्चा के प्रमुख उदबुद्दीन फ्रू ने भी नेपाल में ईसाई धर्म के बढ़ते प्रभाव की बात मानी। राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच नेपालगंज के प्रमुख बाबू खान पठान का कहना है, “देश को धर्मनिपेक्ष बनाने से हिंदू-मुसलमानों के बीच की एकता टूटने के अलावा और कुछ नहीं होगा।”
राजशाही की समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और कुछ दूसरी हिंदू संस्थाएं नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाए जाने से जुड़ा अभियान चला रही हैं। यह उस दौरान हो रहा है, जब देश नया संविधान अपनाने की ओर है। नेपाल में पक्ष-विपक्ष के लिए संविधान बनाने की प्रक्रिया बेहद बोझिल रही है। इसके बोझिल होने का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले आठ सालों से संविधान से जुड़ी धर्मनिरपेक्षता और संघीय ढांचे को लेकर बहस चल रही है और ये बदस्तूर जारी है।
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