होनोलूलूः खगोलीय वस्तुओं का निरीक्षण करने के लिए, नग्न आंखों के अवलोकन अपर्याप्त हैं। इसलिए, दूरबीन का आविष्कार किया गया था, जो मानवीय आंख से अधिक प्रकाश (या फोटॉन) एकत्र कर सकता था। हवाई में दुनिया का सबसे बड़ा टेलिस्कोप लगने जा रहा है। 30 मीटर के इस टेलिस्कोप को बनाने में भारत का बहुत बड़ा हाथ रहा है। बड़े टेलिस्कोप्स से ज्यादा दूर की चीजें देखी जा सकती हैं। ये आम टेलिस्कोप्स से 30 गुना ज्यादा बेहतर होगा और इसे हवाई के Mauna Kea में लगाया जाएगा।
इन्हें लगाने की सबसे अच्छी जगह ऐसे पहाड़ माने जाते हैं, जो बादलों से ऊपर होते हैं। इस टेलिस्कोप को एक 217 फुट बड़े गुंबद में लगाया जाएगा। US, चीन, भारत कनाडा और जापान मिल कर इसे बना रहे हैं। इसके बनने में 1.47 बिलियन डॉलर का खर्च आया है। भारत TMT संघ का सदस्य 2014 फरवरी में बना था। इस पहल में भारत का 10 प्रतिशत योगदान रहा है। इस टेलिस्कोप के कई अहम भाग भारत बना रहा है।आने वाले सालों में TMT को ऑनलाइन लाने की भी योजना है। इसे मुमकिन करने के लिए भारत के लगभग 300 खगोलविदों की भी जरूरत होगी। ये टेलिस्कोप यकीनन कई खगोलविदों को बेहतर काम करने में सक्षम बनाएगा।