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महिला जिसकी कहानी फूंक दे मुर्दे में जान, एक पैर से चढ़ रही दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़

कर्स्टी एनिस असाधारण हैं। उनकी हिम्‍मत की जितनी दाद दी जाए कम है। कर्स्टी एनिस की जिंदगी मुर्दे में जान फूंक देती है। 31 साल की कर्स्टी ने तीन मास्‍टर डिग्री की हैं। वह हॉलीवुड स्‍टंटवुमन रह चुकी हैं। इंग्‍लैंड में 1,000 मील (करीब 1609 Km) पैदल चली हैं। दुनिया के सात सबसे ऊंचे पर्वतों में से छह पर चढ़कर उन्‍हें बौना साब‍ित क‍िया है। सबसे खास बात कि उन्‍होंने यह सब एक हादसे में पैर गंवाने के बाद किया है। जब लोग ऐसे हादसों में तिनका-तिनका बिखर जाते हैं। कर्स्टी एनिस ने शरीर की सीमाओं को आड़े नहीं आने दिया।
एनिस अमेरिका की पूर्व मरीन सर्जेंट हैं। सिर्फ 17 साल की उम्र में वह सेना से जुड़ गई थीं। 2012 में अफगानिस्‍तान के ऊपर से वह हेलीकॉप्‍टर चलाते हुए जा रही थीं। तभी एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया। इस हादसे में उनकी जान जाते-जाते बची। इसमें उन्‍हें काफी ज्‍यादा चोट आई। अगले तीन साल उनकी 40 सर्जरी हुईं। 2015 में उन्‍हें जबर्दस्‍त इन्‍फेक्‍शन हो गया। इसमें उनका एक पैर काटना पड़ा। इसके चलते वह मेडिकल रिटायरमेंट लेने को मजबूर हो गईं। लोगों की सुरक्षा के लिए वह सशस्‍त्र बलों से जुड़ी थीं। अब उन्‍हें जीवन का मकसद तलाश करना था।
दुनिया के छह सबसे ऊंचे पहाड़ चढ़ चुकी हैं एन‍िस – एनिस ने आंख बंद की। फ‍िर ठाना कि वह घर की चारदीवारों में बंद होकर तो बिल्‍कुल नहीं रहेंगी। उसी दिन बाहर निकलने का फैसला कर लिया। वह स्‍पॉन्‍सर्ड ईवेंट में स्‍नोबोर्डिंग और क्‍लाइंबिंग करने लगीं। फिर उनका टारगेट ज्‍यादा साफ हो गया। एनिस ने तय किया कि वह सभी सात समिट की ऊंचाई नापेंगी। ये सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां हैं। उन्‍होंने 2017 से इसकी शुरुआत कर दी। अब तक वह छह पर चढ़ चुकी हैं। उनका अगला पड़ाव दुनिया की सबसे मुश्किल माउंट एवरेस्‍ट की ऊंचाई नापना है।
एन‍िस के ल‍िए कुछ भी नामुमकिन नहीं – पहाड़ों पर चढ़ने के अलावा एनिस का एक और मिशन है। उन्‍हें यह साबित करना है कि दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है। वहां आज जहां आकर खड़ी हो गई हैं, वहां से उन्‍हें सब कुछ आसान दिखता है। वह सबकुछ करती हैं। प्‍लेन उड़ाती हैं। मोटरसाइकिल चलाती हैं। स्‍कूबा डाइविंग करती हैं। उन्‍होंने कर्स्टी एनिस फाउंडेशन की भी स्‍थापना की है। इसने उन्‍हें 2019 ईएसपीवाईएस में पैट टिलमैन सर्विस अवार्ड पाने में मदद की। यह संस्‍थान उन लोगों की सहायता करता है जिन्‍होंने किसी हादसे में अपने अंग गंवाएं हैं।