ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, बृहस्पति मानव जीवन में शैक्षणिक योग्यता, धार्मिक चिंतन, आध्यात्मिक ऊर्जा, नेतृत्व शक्ति, संतति, वंशवृद्धि, विरासत, परंपरा, आचार-व्यवहार, राजनैतिक योग्यता, सभ्यता, पद-प्रतिष्ठा, पैरोहित्य, ज्योतिष तंत्र-मंत्र एवं तपस्या में सिद्धि पर अपना आधिपत्य रखता है। संसार के सभी सुखों से बढ़कर है संतान सुख, जो बृहस्पति के अनुकुल होने पर ही प्राप्त होता है। जो दंपति इस सुख से वंचित हैं, वह बृहस्पतिवार को करें ये काम, जल्दी मिलेगा शुभ समाचार। शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें।
दंपति को गुरुवार का व्रत रखना चाहिए।
गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें, पीली वस्तुओं का दान करें यथासंभव पीला भोजन ही करें।
माता बनने की इच्छुक महिला को चाहिए गुरुवार के दिन गेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमें भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को खिलाएं।
और प्रभु से संतान का वरदान देने के लिए प्रार्थना करें निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी ।
गुरुवार के दिन पीले धागे में पीली कौड़ी को कमर में बांधने से संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।
माता बनने की इच्छुक महिला को पारद शिवलिंग का रोजाना दूध से अभिषेक करें उत्तम संतान की प्राप्ति होगी ।
हर गुरुवार को भिखारियों को गुड़ का दान देने से भी संतान सुख प्राप्त होता है ।
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर उसे दूध में घिसकर स्त्री को पिलाएं यह सिद्ध एंवम परीक्षित प्रयोग है ।
रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन निसंतान स्त्री यदि पीपल पर दीपक जलाए और उसकी परिक्रमा करते हुए संतान की प्रार्थना करें उसकी इच्छा अति शीघ्र पूरी होगी ।
श्वेत लक्ष्मणा बूटी की 21 गोली बनाकर उसे नियमपूर्वक गाय के दूध के साथ लेने से संतान सुख की अवश्य ही प्राप्ति होती है ।
उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ लाकर सदैव अपने पास रखने से निसंतान दम्पति को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है ।
नींबू की जड़ को दूध में पीसकर उसमें शुद्ध देसी घी मिला कर सेवन करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है ।
पहली बार ब्याही गाय के दूध के साथ नागकेसर के चूर्ण का लगातार 7 दिन सेवन करने से संतान पुत्र उत्पन्न होता है ।
सवि का भात और मुंग की दाल खाने से बांझपन दूर होता है और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है ।
गर्भ का जब तीसरा महीना चल रहा हो तो गर्भवती स्त्री को शनिवार को थोड़ा सा जायफल और गुड़ मिलाकर खिलाने से अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी ।
पुराने चावल को धोकर भिगो दें बनाने से पहले उसके पानी को अलग करके उसमें नींबू की जड़ को महीन पीसकर उस पानी को स्त्री पी कर अपने पति से सम्बन्ध बनाए वह स्त्री कन्या को जन्म देगी ।