सचिन तेंदुलकर के अलमारी से जुड़े रहस्य, नवजोत सिंह सिद्धू और अजय जडेजा की मैदान से बाहर की आदतों जैसे कई किस्से शुक्रवार (30 सितंबर) को यहां ईडन गार्डन्स पर टॉक शो के दौरान पूर्व क्रिकेटरों ने बयां किए। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने खुलासा किया कि बल्लेबाजी के बादशाह तेंदुलकर जब खेला करते थे तो वह केवल बल्लेबाजी और खरीदारी करते थे। गांगुली ने कहा, ‘वह (तेंदुलकर) केवल बल्लेबाजी करता था या फिर खरीदारी। वह टेस्ट मैच में शतक बनाता और अगले दिन अरमानी या वरसाचे में खरीदारी करता। आप उन्हें अपने कपड़ों को आलमारी से हैंगर पर बेहद करीने से लटकाते हुए देख सकते थे। वह अपने कपड़ों को बहुत चाहते थे और उनकी आलमारी हमेशा भरी रहती थी।’
वीवीएस लक्ष्मण के बारे में गांगुली ने कहा कि यह कलात्मक हैदराबादी बल्लेबाज हमेशा देर से पहुंचता था। कोलकाता में भारत के अपनी सरजमीं पर 250वां टेस्ट खेलने के अवसर पर आयोजित टॉक शो में गांगुली ने कहा, ‘अगर चौथे या पांचवें नंबर का बल्लेबाज भी क्रीज पर हो तब भी वह शावर ले रहा होता था। यहां तक कि टीम बस में सवार होने वाला वह आखिरी व्यक्ति होता था।’ इस कार्यक्रम में भारतीय कोच अनिल कुंबले, कपिल देव और वीरेंद्र सहवाग ने भी हिस्सा लिया। भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदलने का श्रेय गांगुली को जाता है लेकिन इस पूर्व कप्तान ने अपने साथियों को हीरा करार दिया जिन्होंने उनकी टीम में अच्छा प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा, ‘शीर्ष क्रम में वीरू (सहवाग) अपने बल्लेबाजी से कमाल करता था और जब गेंदबाजी का वक्त आता था तो हमें पता था कि हमारे पास एक ऐसा गेंदबाज (कुंबले) है जो किसी भी तरह की पिच पर विकेट दिलाएगा। वह कहता था, आप लोग बड़ा स्कोर बनाओ और मैं आपके लिए टेस्ट मैच जीतूंगा।’ गांगुली ने कहा, ‘यह मेरे लिए गौरव की बात है कि मैं आप दोनों तथा राहुल, सचिन, हरभजन…का कप्तान रहा। वह स्वर्णिम पीढ़ी थी। हमारे पास बेजोड़ प्रतिभा थी। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को श्रेष्ठतर बनाया।’ सहवाग की तारीफ करते हुए गांगुली ने कहा, ‘उसने दुनिया भर में लोगों की बल्लेबाजी के प्रति मानसिकता बदली। अगर आप आज के जमाने में देखोगे कि यदि खिलाड़ी तेजी से रन नहीं बनाता तो उसकी आलोचना होने लगती है। इसकी शुरुआत सहवाग और (मैथ्यू) हेडन जैसे खिलाड़ियों के साथ हुई थी।’
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता में 2001 के ऐतिहासिक मैच को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरे पास कुंबले नहीं था और उस स्थिति में ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराने के लिए हरभजन ने श्रृंखला में बेहतरीन प्रदर्शन किया।’ भारत की पहली विश्व कप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव ने कहा कि 70 अैर 80 के दशक की भारतीय टीम की मानसिकता सही नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘सुनील गावस्कर युग के बाद क्रिकेट में बदलाव शुरू हुआ। बोर्ड के पास भी संसाधन नहीं थे और यह मुश्किल दौर था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम इतनी जल्दी टेस्ट क्रिकेट के शिखर पर पहुंच जाएंगे।’ कपिल ने कहा, ‘हम हमेशा से मानते थे कि आक्रामकता दिखाना तो उत्तर भारतीयों का काम है। हम बंगालियों को कलात्मक मानते हैं। अचानक हमने देखा कि सौरव को बेजोड़ आक्रामकता के साथ देखा। दक्षिण भारतीय शांतचित और नरम होते हैं लेकिन कुंबले ने अपने जुनून से इसे बदल दिया।’
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