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जापानी PM किशिदा ने चीन के राजदूत से मिलने का अनुरोध ठुकराया, विशेषज्ञों को याद आए जयशंकर !


जापान और चीन के बीच चल रहे तनाव से पूरी दुनिया वाकिफ है। दोनों देशों के रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और हाल ही में नए घटनाक्रम से ये रिश्‍ते और बिगड़ने के आसार हैं । जापान और चीन के बीच शांति संधि की इस साल 45वीं सालगिरह है। दोनों देशों की सरकारें इस पल को रिश्‍तों को सुधारने और स्थिर करने के मौके के तौर पर देख रही हैं। लेकिन जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा का एक फैसला चीन को नाराज कर सकता है। किशिदा ने चीन के उस राजदूत से मिलने से इंकार कर दिया जो जापान में अपना कार्यकाल पूरा करके चीन वापस लौट रहे थे। राजदूत की तरफ से खुद इस मुलाकात की रिक्‍वेस्‍ट की गई थी। यह घटना फरवरी महीने के अंत की है लेकिन कुछ दिनों पहले सामने आई है।
जापान में चीन के राजदूत रहे कोंग जुआनयू ने विदाई से पहले पीएम किशिदा को एक संदेश भेजा था। यह परंपरा है कि जब कोई राजदूत कार्यकाल पूरा करके लौटता है तो पीएम के साथ उनकी मीटिंग होती है। मगर इस मीटिंग के बदले किशिदा के ऑफिस की तरफ से असाधारण प्रतिक्रिया जुआनयू को दी गई। जापान और चीन दोनों ही सरकारों के सूत्रों की तरफ से इस बात की पुष्टि की गई है कि किशिदा ने उनसे मुलाकात के अनुरोध को ठुकरा दिया था। जापानी सरकार के एक अधिकारी की तरफ से बताया गया है कि प्रधानमंत्री और राजदूत समान नहीं हैं। राजनयिक प्रोटोकॉल के मामले में कोई समस्या नहीं है। जब चीन में पूर्व जापानी राजदूत ने अपना पद छोड़ा, तो वह भी चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग और बाकी टॉप ऑफिशियल से नहीं मिल पाए थे। ऐसे में जो फैसला लिया गया वह पार‍स्‍परिक दृष्टिकोण से जुड़ा था।
निक्‍केई एशिया की एक रिपोर्ट की मानें तो फुकुशिमा परमाणु संयत्र में जिस तरह से ट्रिटेड पानी को छोड़ा गया, उससे पीएम किशिदा काफी चिंतित हैं। अब उनकी योजना जापान की जनता की राय और यूक्रेन में स्थिति को देखने के बाद चीन को जवाब देने की है।जापान ने जो कुछ किया है उसने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का एक बयान याद दिला दिया है। जयशंकर ने हाल ही में हुए एक कार्यक्रम में कहा था, ‘आप शांति और स्थिरता को कम नहीं कर सकते हैं। न ही आप फिर यह कह सकते हैं कि ‘बाकी रिश्ते को सामान्य होने दें।’ आप सीमा पर हिंसा और देश के अंदर इलाकों में कारोबार नहीं कर सकते।’ माना जा रहा है कि जापान ने चीन को भारत की तर्ज पर ही सबक सिखाया है।

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