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ध्वजवाहक बनने की चाहत नडाल को खींच लाई रियो

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रियो डि जिनेरियो: राफेल नडाल ने स्वीकार किया कि ओलिंपिक खेलों के उदघाटन समारोह में दूसरी बार स्पेन का ध्वज लेकर चलने का मौका गंवाने के डर से वह बायीं कलाई चोटिल होने की आशंका के बावजूद रियो में खेलने के लिए आए।

तीस वर्षीय नडाल को लंदन ओलंपिक 2012 में अपने देश की अगुवाई करनी थी लेकिन घुटने की चोट के कारण वह टूर्नामैंट से बाहर हो गए। उनकी जगह बास्केटबाल खिलाड़ी पाउ गासोल को ध्वजवाहक बनाया गया था। नडाल इस बार भी चोटिल थे जिसके कारण वह मई में फ्रेंच ओपन के बाद किसी टूर्नामैंट में नहीं खेल पाए थे। उन्होंने कहा कि ओलिंपिक खेल सबसे महत्वपूर्ण खेल प्रतियोगिता है। यह सबसे हटकर है। ध्वजवाहक होना एक और महत्वपूर्ण बात है। मैं लंदन में पहले ही मौका गंवा चुका था। लगातार दो बार मौका गंवाना बहुत मुश्किल होता और निश्चित तौर पर यहां खेलने का मेरा फैसला इससे प्रभावित था।