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पाकिस्‍तान: विपक्ष ही नहीं इस गंभीर चुनौती से भी जूझ रहे इमरान खान, सामने खड़ा है बड़ा संकट


पाकिस्‍तान में 11 विपक्षी दलों के महागठबंधन का सामना कर रहे प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने पहले ही चुनौतियों का पहाड़ मुंह बाए खड़ा है। इमरान के सामने अब एक और नई मुसीबत आने जा रही है जिससे उनकी समस्‍याएं और बढ़ सकती हैं। आर्थिक कार्रवाई कार्यबल (FATF) इसी महीने अपनी बैठक में पाकिस्‍तान ग्रे लिस्‍ट पर फैसला करने जा रहा है। अगर FATF ने कड़ा रुख अपनाया तो इमरान का संकट और बढ़ सकता है।
एफएटीएफ की वर्चुअल बैठक 21-23 अक्‍टूबर के बीच में होने जा रही है। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में पाकिस्‍तान के लिए एक नए ऐक्‍शन प्‍लान को तैयार किया जा सकता है जो वर्ष 2019 के आपसी समीक्षा रिपोर्ट पर आधारित होगा। इसमें एफएटीएफ की ओर से पाकिस्‍तान को दिए गए 27 सूत्री एक्‍शन प्‍लान में से उन बिन्‍दुओं को रखा जा सकता है जिन्‍हें पाक ने अभी तक पूरा नहीं किया है।
कश्‍मीर में अपने स्‍लीपर सेल को दिशा निर्देश दे रहा जैश
पाकिस्‍तान जहां अक्‍सर भारत पर आरोप लगाता है कि वह एफएटीएफ का राजनीतिकरण कर रहा है, वहीं वास्‍तविकता यह है कि पाकिस्‍तान स्थित आतंकी समूह जैसे जैश-ए-मोहम्‍मद और लश्‍कर-ए-तैयबा लगातार आम नागरिकों और सुरक्षा बलों को कश्‍मीर में निशाना बना रहे हैं। जैश का मुख्‍य हैंडलर कासिम जान अभी भी कश्‍मीर में अपने स्‍लीपर सेल को दिशा निर्देश दे रहा है। कासिम ने ही पठानकोट एयरबेस पर हमला कराया था।
लश्‍कर सरगना हाफिज सईद का बेटा तल्‍हा भी भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बनाता है। पाकिस्‍तान पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि इमरान खान अफगानिस्‍तान जा रहे हैं और वह तालिबान और हक्‍कानी नेटवर्क पर अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल अफगानिस्‍तान में सीजफायर पर चर्चा के लिए कर सकते हैं। इसके पीछे उनका मकसद एफएटीएफ से कुछ राहत लेना है।
पाकिस्‍तान को 27 सूत्री एक्‍शन प्‍लान को अभी भी लागू करना बाकी
इससे पहले अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने ऐलान किया था कि अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्‍तान से इस साल क्रिसमस से पहले लौट जाएंगी। हालांकि यह कहने में जितना आसान है, उतना होता नहीं द‍िख रहा है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट में पाकिस्‍तान धनशोधन और आतंकियों के वित्‍तपोषण के खतरे का सामना कर रहा है। चूंकि पाकिस्‍तान को 27 सूत्री एक्‍शन प्‍लान को अभी भी लागू करना है, ऐसे में वर्ष 2019 की रिपोर्ट पाकिस्‍तान की बहुत खराब तस्‍वीर पेश करती है।

एक भारतीय विशेषज्ञ ने कहा कि वर्ष 2019 की रिपोर्ट के आधार पर पाकिस्‍तान की फिर से समीक्षा की जाएगी। पाकिस्‍तान के साथ मिलकर नए लक्ष्‍य तैयार किए जाएंगे। इस परिस्थिति में पाकिस्‍तान के लिए यह बहुत कठिन है कि वह एफटीएफ की ग्रे लिस्‍ट से निकल पाए। बता दें कि आतंकवादियों को पाल-पोषकर बड़ा करने वाले पाकिस्‍तान को FATF के दबाव के आगे झुकना पड़ा है। पाकिस्‍तान ने एफएटीएफ की ओर से तय की गई सख्त शर्तों से संबंधित दो विधेयकों को पारित कर दिया है।

जून 2016 से ग्रे ल‍िस्‍ट में है पाकिस्‍तान
विधेयकों में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में निर्दिष्ट संस्थाओं और व्यक्तियों की संपत्ति को पर रोक लगाना और जब्त करना, यात्रा पर और हथियार रखने पर रोक लगाना तथा आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले लोगों के लिए भारी जुर्माना और लंबी अवधि की जेल के उपाय शामिल हैं। ये दो विधेयक पेरिस स्थित एफएटीएफ की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जिसने जून 2016 में धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान की विधिक व्यवस्था को सुधारने के लिए 27 सूची योजना लागू कराने के लिए अपनी ‘ग्रे ल‍िस्‍ट’ में डाल दिया था।

 

पाक ने 1800 नामों को निगरानी लिस्‍ट से हटाया गया
बता दें कि कोरोना महासंकट के बीच पाकिस्‍तान ने पिछले दिनों खुद को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से हटाए जाने के लिए बड़ा दांव चला था। पाकिस्‍तान ने पिछले 18 महीने में निगरानी सूची से हजारों आतंकवादियों के नाम को हटा दिया है। इस लिस्‍ट में वर्ष 2018 में कुल 7600 नाम थे लेकिन पिछले 18 महीने में इसकी संख्‍या को घटाकर अब 3800 कर दिया गया है। यही नहीं इस साल मार्च महीने की शुरुआत से लेकर अब तक 1800 नामों को लिस्‍ट से हटाया गया है। इसमें कई खूंखार आतंकवादी शामिल हैं।