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पाकिस्‍तान का वह इलाका जहां सेना भी रहती है दहशत में, तालिबान 15 सालों से खेल रहा है खून की होली


पाकिस्‍तान एक तरफ भयानक आर्थिक संकट में फंसा है तो दूसरी ओर तहरीक-ए-तालिबान (TTP) ने उसकी नाक में दमकर रखा है। सोमवार को पेशावर में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के बाद साबित हो गया है कि यह संगठन शांत नहीं बैठने वाला है। 100 लोगों की मौत हुई है और एक बार फिर आतंकवाद ने पाकिस्‍तान में खुद को ताकतवर साबित कर दिया। टीटीपी ने यह हमला अपने उस आतंकी की मौत के बदले के तहत लिया जो अफगानिस्‍तान में मारा गया था। टीटीपी, खैबर पख्‍तूनख्‍वां प्रांत में काफी ताकतवर है। यह देश का वह हिस्‍सा है जो खतरनाक तालिबान के कब्‍जे में है। इस जगह पर देश की मिल‍िट्री भी मजबूर हो जाती है।
कट्टर इस्‍लामिक सोच वाला टीटीपी – मस्जिद पर हुए आतंकी हमले से ठीक दो हफ्ते पहले एक के बाद एक हमलों में पेशावर की बाहरी सीमा में स्थित पुलिस चौकियों को टीटीपी के आतंकियों ने निशाना बनाया था। ये आतंकी मॉर्डन हथियारों से लैस थे और इनके पास नाइट विजन ग्‍लासेज तक थे। इन आतंकियों ने स्‍नाइपर्स के साथ मिलकर ऑफिसर्स पर हमले किए और पुलिस स्‍टेशन पर ग्रेनेड्स फेंके।
एक पुलिस ऑफिसर रजा खान की मानें तो देश के हालात काफी डरावने हैं और सुरक्षा एजेंसियों को प्रांत में निशाना बनाया जा रहा है। उनकी मानें तो ऐसा लगता है कि जैसे आतंकी हर कहीं मौजूद हैं। टीटीपी जो अफगानिस्‍तान तालिबान से अलग होकर बना एक संगठन है, उसकी ही तरह कट्टर इस्‍लामिक विचारधारा में यकीन रखता है। पिछले 15 सालों से इसने पाकिस्‍तान में खूनी विद्रोह छेड़ रखा है। यह संगठन देश में इस्‍लामिक शरिया कानून लगाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है।
युद्धविराम खत्‍म करने का ऐलान – साल 2014 और साल 2017 में हुए मिलिट्री ऑपरेशंस में जमकर खून बहा और टीटीपी कमजोर पड़ गया। लेकिन पिछले साल नवंबर से इस संगठन ने फिर से ताकत जुटा ली है। जैसे ही पाकिस्‍तान की सेना को जनरल आसिम मुनीर के तौर पर नया आर्मी चीफ मिला, टीटीपी ने युद्धविराम को खत्‍म करने का फरमान जारी कर दिया। इस संगठन ने अपने आतंकियों का आदेश दिया है कि जहां कहीं भी पाकिस्‍तान की सेना या पुलिस बल पर हमले हो सकते हैं, उन्‍हें अंजाम दिया जाए। इसके बाद से ही खैबर पख्‍तूनख्‍वां में स्थिति बेकाबू होती जा रही है। यह प्रांत अफगानिस्‍तान से सटा है।
रात में चेकपोस्‍ट्स पर आतंकी – नवंबर से लेकर टीटीपी अब तक कई आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है। दिसंबर में हुए एक हमले में तालिबान ने कांउटर-टेररिज्‍म की यूनिट पर ही कब्‍जा कर लिया था। 24 घंटे तक चले ऑपरेशन में एक दर्जन से ज्‍यादा आर्मी और पुलिस ऑफिसर्स की मौत हो गई थी। खैबर पख्‍तूनख्‍वां में तालिबान की मौजूदगी के लिए अफगानिस्‍तान को जिम्‍मेदार ठहराया जाता है। वजीरस्‍तान जो पहाड़ों से घिरा है, अफगानिस्‍तान से एकदम सटा हुआ है। ये जगह हथियारों से लैस टीटीपी आतंकियों का गढ़ है। खैबर के कई इलाकों में पुलिस की चेकपोस्‍ट्स पर टीटीपी के आतंकियों का कब्‍जा है। रात में सेना की कई चौकियों पर आतंकी मौजूद रहते हैं। स्‍थानीय नागरिक तो दहशत में जीने को मजबूर हैं ही मगर सेना और पुलिस को भी अब घबराहट होने लगी है।