सुधारों को लेकर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के शिकंजे में फंस चुके दुनिया के सबसे अमीर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की यह स्थिति हो गई है कि उसे एक रूपया खर्च करने के लिए 10 लोगों से पूछना पड़ता है। यह बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कही है।
ठाकुर ने शुक्रवार को यहां प्रो कुश्ती लीग के एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से साथ बातचीत में कुछ कटाक्ष भरे शब्दों में कहा, ‘ आजकल हमें एक रूपया खर्च करने के लिए 10 लोगों से पूछना पड़ता है। हम पर से जब बंदिशें हटेंगी तभी जाकर हम कुछ कर पाएंगे। भारतीय क्रिकेट इस समय नई ऊंचाइयों पर है और बीसीसीआई ने पूर्व और मौजूदा क्रिकेटरों के लिए बहुत कुछ किया है। ‘
बीसीसीआई अध्यक्ष ने साथ ही कहा कि मौजूदा संंकट क्रिकेटरों के हित में नहीं है लेकिन बोर्ड को तीन जनवरी को उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा, ‘ हम जानते हैं कि मौजूदा स्थिति क्रिकेटरों के हित में नहीं है लेकिन मामला अदालत के विचाराधीन है। हम संकट में फंसे हैं लेकिन हमारे पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है। ‘
उच्चतम न्यायालय में झूठा हलफनामा देने के मामले में फंसे ठाकुर ने कहा कि तीन जनवरी को इस पर फैसला आ जाएगा और उसके बाद ही बोर्ड जाकर अपने फैसले कर पाएगा।
यह पूछने पर कि क्या वह अदालत में माफी मांगेंगे तो ठाकुर ने कहा कि यह मामला अभी अदालत के विचाराधीन है और अभी उनके लिए कुछ कहना ठीक नहीं होगा।
हालांकि इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि ठाकुर इस मामले में माफी मांग सकते हैं। यदि ठाकुर माफी नहीं मांगते हैं और यह मामला साबित हो जाता है तो ठाकुर को जेल भी जाना पड़ सकता है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त आर एम लोढा समिति की कुछ सिफारिशों को लेकर बीसीसीआई फंसा हुआ है जिन्हें लागू करने को लेकर वह धर्मसंकट में है। इनमें एक राज्य एक वोट, तीन साल की कूलिंग अवधि और 70 साल की आयु सीमा शामिल है।
बीसीसीआई की इस मामले में समीक्षा याचिका और पुन:समीक्षा याचिका खारिज हो चुकी हैं। ठाकुर ने बीसीसीआई की आलोचना करने वाले कुछ पूर्व क्रिकेटरों को भी आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा, ‘ बीसीसीआई ने सरकार से एक पैसा लिये बिना अपनी ढांचागत सुविधाएं बनाई हैं। इसके बावजूद कुछ पूर्व क्रिकेटर हमारे खिलाफ बोलते हैं। हमारे पास पैसा है लेकिन हम उसे खर्च नहीं कर सकते। हमें उसके लिए अनुमति की जरूरत होती है।