आज के दौर में जिन लोगों की बुद्धि तेज है, वे ही तेजी से सफलता प्राप्त कर पाते हैं। हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा काफी अधिक हो गई है। ऐसे में जो लोग हालात को समझने में अधिक समय लगाते हैं, वे सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं, घर-परिवार में सामंजस्य नहीं बना पाते हैं। आज काफी लोग क्लेश-विकार के भी शिकार हैं। क्लेश यानी कष्ट, मानसिक तनाव, चिंता और विकार यानी दोष, बुराई। तेज बुद्धि के साथ ही क्लेश और विकार दूर करने के लिए सबसे सरल उपाय है नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए।
ये हैं 5 क्लेश- अविद्या यानी अज्ञान, अस्मिता यानी अपमान, राग यानी लगाव, द्वेष यानी मन-मुटाव, अभिनिवेश यानी मृत्यु का भय।
ये हैं 6 विकार यानी बुरी आदतें- काम यानी वासना, क्रोध यानी गुस्सा, लोभ यानी लालच, मद यानी नशा, मोह यानी आसक्ति या अत्यधिक लगाव, मत्सर यानी बुरी लत।
ये सभी क्लेश और विकार, हमें लक्ष्य से दूर करते हैं और सही दिशा से भटकाते हैं। इनसे बचने के लिए नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। यदि हम हर रोज हनुमान चालीसा का जप नहीं कर सकते हैं तो सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शनिवार को जप कर सकते हैं। यदि सप्ताह में दो दिन भी संभव न हो सके तो सप्ताह में किसी भी एक दिन जप कर सकते हैं। यदि एक दिन में भी पूरी हनुमान चालीसा का पाठ नहीं सकते हैं तो सच्चे मन से हनुमान जी का ध्यान करते हुए किसी एक चौपाई का जप भी कर लेंगे तो हनुमानजी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल-बुद्धि बिद्या देह मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
व्यक्ति नियमित रूप से सिर्फ इन दो पंक्तियों का जप 108 बार जप करता है तो उसे तेज बुद्धि प्राप्त हो सकती है। इन पंक्तियों के प्रभाव से हनुमान जी व्यक्ति के सभी क्लेश और विकार भी दूर करते हैं। इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि हे पवन कुमार। मैं खुद को बुद्धिहीन मानता हूं और आपका ध्यान, स्मरण करता हूं। आप मुझे बल-बुद्धि और विद्या प्रदान करें। मेरे सभी कष्टों और दोषों को दूर करने की कृपा कीजिए।
रामदूत अतुलित बलधामा।अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।
यदि कोई व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है तो उसे शारीरिक कमजोरियों से मुक्ति मिलती है। इस पंक्ति का अर्थ यह है कि हनुमान जी श्रीराम के दूत हैं और अतुलित बल के धाम हैं। हनुमान जी परम शक्तिशाली हैं। इनकी माता का नाम अंजनी है, इसी वजह से इन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी को पवन देव का पुत्र माना जाता है, इसी वजह से इन्हें पवनसुत भी कहते हैं।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
यदि कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा की केवल इस पंक्ति का जप करता है तो उसे सुबुद्धि की प्राप्ति होती है। इस पंक्ति का जप करने वाले व्यक्ति के कुविचार नष्ट होते हैं और सुविचार बनने लगते हैं। बुराई से ध्यान हटता है और अच्छाई की ओर मन लगता है। इस चौपाई का अर्थ यही है कि बजरंगबली महावीर हैं और हनुमानजी कुमति को निवारते हैं। कुमति को दूर करते हैं और सुमति यानी अच्छे विचारों को बढ़ाते हैं।
बिद्याबान गुनी अति चातुर। रामकाज करीबे को आतुर।।
यदि किसी व्यक्ति को विद्या धन चाहिए तो उसे इस पंक्ति का जप करना चाहिए। इस पंक्ति के जप से हमें विद्या और चतुराई प्राप्त होती है। इसके साथ ही हमारे हृदय में श्री राम की भक्ति भी बढ़ती है। इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी विद्यावान हैं और गुणवान हैं। हनुमान जी चतुर भी हैं। वे सदैव श्री राम के काम करने के लिए तत्पर रहते हैं। जो भी व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है, उसे हनुमान जी की ही तरह विद्या, गुण, चतुराई के साथ ही श्रीराम की भक्ति प्राप्त होती है।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।।
जब आप शत्रुओं से परेशान हो जाएं और कोई रास्ता दिखाई न दे तो हनुमान चालीसा का जप करें। यदि एकाग्रता और भक्ति के साथ हनुमान चालीसा की सिर्फ इस पंक्ति का भी जप 108 बार हर रोज किया जाए तो शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। श्री राम की कृपा प्राप्त होती है।इस पंक्ति का अर्थ यह है कि श्री राम और रावण के बीच हुए युद्ध में हनुमान जी ने भीम रूप यानी विशाल रूप धारण करके असुरों-राक्षसों का संहार किया था। श्री राम के काम पूर्ण करने में हनुमान जी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिससे श्री राम के सभी काम संवर गए।
लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
इस पंक्ति का जप करने से भयंकर बीमारियों से भी मुक्ति मिल सकती है। यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है और दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है तो उस रोगी को भक्ति के साथ पूरी हनुमान चालीसा का या इस पंक्ति का जप हर रोज 108 बार करना चाहिए। दवाओं का असर होना शुरू हो जाएगा, बीमारी धीरे-धीरे ठीक होने लगेगी। इस उपाय के साथ ही चिकित्सक द्वारा बताए गए नियमों का भी पालन करते रहना चाहिए।
इस चौपाई का अर्थ यह है कि जब रावण के पुत्र मेघनाद ने लक्ष्मण को मुर्छित कर दिया था। तब कई औषधियों के प्रभाव से भी लक्ष्मण की चेतना लौट नहीं रही थी। उस समय हनुमानजी संजीवनी औषधि लेकर आए और लक्ष्मण जी के प्राण बचाए। हनुमान जी के इस चमत्कार से श्रीराम अति प्रसन्न हुए।
पंक्तियों में छिपे हुए भाव के साथ हर रोज पूरी हनुमान चालीसा या सिर्फ इन पंक्तियों का जप करना चाहिए। यदि सिर्फ इन पंक्तियों का जप करना चाहते हैं तो जप की संख्या कम से कम 108 रखेंगे तो बेहतर रहेगा। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है। हनुमान चालीसा का जप करने के लिए किसी भी हनुमान मंदिर जा सकते हैं या घर पर ही किसी पवित्र और शांत स्थान पर पाठ किया जा सकता है। पाठ करने से पूर्व स्नान आदि से स्वयं को पूरी तरह पवित्र कर लेना चाहिए। साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें और आसन पर बैठकर हनुमान जी का ध्यान करते हुए जप करें।