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‘देव वैद्य’ आरोग्य देव धन्वंतरि की प्रगट तिथि है आज, जानें कैसे हुआ था अवतार

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भगवान धन्वन्तरि जी का जन्मोत्सव कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, देव-दानवों द्वारा क्षीर सागर का मंथन करते समय भगवान धन्वन्तरि संसार के समस्त रोगों की औषधियों को कलश में भरकर प्रकट हुए थे। उस दिन त्रयोदशी तिथि थी। यह तिथि भगवान धन्वंतरि जयंती महोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है। विशेष कर आयुर्वेद के विद्वान तथा वैद्य समाज की ओर से इस दिन भगवान धन्वंतरि जी का पूजन किया जाता है। ये भगवान विष्णु जी के ही अवतार माने गए हैं जो समस्त प्राणियों को रोगमुक्त करने के लिए प्रकट हुए।

श्रीमद् भागवत महापुराण में वर्णित कथानुसार जब देवताओं और असुरों ने अमृत की इच्छा से समुद्र मंथन किया तब उसमें से एक अत्यंत अलौकिक पुरुष प्रकट हुए। गले में माला, अंग-अंग सब प्रकार के आभूषणों से सुसज्जित, शरीर पर पिताम्बर, कानों में चमकीले मणियों के कुंडल, तरुण अवस्था, अनुपम सौंदर्य, उन दिव्य पुरुष की छवि बड़ी अनोखी थी। वह साक्षात भगवान विष्णु के अंशांश अवतार थे।

उनके हाथों में अमृत से भरा हुआ कलश था। वही आयुर्वेद के प्रवर्तक और यज्ञभोक्ता धन्वंतरि के नाम से सुप्रसिद्ध हैं। इन्हें आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। अमृत वितरण के पश्चात देवराज इंद्र की प्रार्थना पर भगवान धन्वंतरि ने ‘देव वैद्य’ का पद स्वीकार कर लिया।

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