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ऐस्टरॉइड Ryugu की मिट्टी लेकर आ रहा जापान का Hayabusa 2 धरती के करीब पहुंचा, ऐसे छुएगा जमीन


हमारा सोलर सिस्टम कैसे बना इसी खोज के लिए अंतरिक्ष में दूर घूम रहे एक ऐस्टरॉइड पर जापान ने एक स्पेसक्राफ्ट भेजा था। करीब एक साल पहले उससे मिट्टी के नमूने और दूसरा डेटा लेकर लौट रहा यह स्पेसक्राफ्ट अब धरती के पास पहुंच रहा है। Hayabusa 2 स्पेसक्राफ्ट धरती से 30 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित ऐस्टरॉइड Ryugu से एक साल पहले निकला था और अगले महीने 6 दिसंबर को दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में इसका कैप्सूल लैंड करेगा।
वैज्ञानिकों को तलाश : जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के वैज्ञानिकों का मानना है कि सैंपल, खासकर ऐस्टरॉइड की सतह से लिए गए सैंपल में मूल्यवान डेटा मिल सकता है। यहां स्पेस रेडिएशन और दूसरे फैक्टर्स का असर नहीं होता है। माकोटो योशिकावा के प्रॉजेक्ट मैनेजर ने बताया है कि वैज्ञानिकों को Ryugu की मिट्टी में ऑर्गैनिक मटीरियल का अनैलेसिस करना है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिजोना की लीड साइंटिस्ट डान्टे लॉरेटा ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि इस मिशन को पूरा कर लिया गया है। स्पेसक्राफ्ट ने हर वह चीज की जो उसे करनी थी। Osiris-Rex ने Bennu पर टचडाउन की पुष्टि 20 करोड़ मील दूर से की जिसके बाद मिशन टीम खुशी से उछल पड़ी। Osiris-Rex सैंपल के साथ साल 2023 में लौटेगा। Osiris-Rex को पहले ही ग्राउंड कंट्रोल ने कमांड दे दी थीं। इससे उसने करीब 4.5 घंटे में अपनी कक्षा से Bennu की सतह पर पहुंचा। उसके रुकने के लिए 510 मीटर के Bennu में पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण नहीं है। इसलिए उसने पूरी तरह लैंड होने की जगह 3.4 मीटर की रोबॉट आर्म को सतह पर पहुंचाया और कम से कम 60 ग्राम सैंपल इकट्ठा करने की कोशिश की।
OSIRIS-REx दो साल से Bennu के चक्कर काट रहा है और स्पेस रॉक्स के मूवमेंट को ऑब्जर्व कर रहा है। ह Nightingale नाम के क्रेटर पर स्पाइरल करते हुए उतरा जहां इसके उतरने के लिए सिर्फ 8 मीटर चौड़ा एक क्षेत्र था। Nightingale क्रेटर भी सैंपल के लिहाज से बेहद अहम है। यहां महीने धूल, कंकड़-पत्थर हैं जो ज्यादा वक्त के लिए आसपास के पर्यावरण के संपर्क में नहीं आए हैं।
पहले से तय कमांड के मुताबिक कुछ सेकंड में Osiris की आर्म के छूने से क्रेटर की धूल नाइट्रोजन गैस के ब्लास्ट से उड़ेगी और सैंपलिंग हेड में इकट्ठा हो जाएगी। वैज्ञानिकों को कम से कम 60 ग्राम सैंपल चाहिए। अगर यहां इतनी धूल नहीं मिली तो 30 अक्टूबर को फैसला किया जाएगा कि आगे क्या करना है। दूसरी कोशिश बैकअप साइट Osprey पर जनवरी 2021 के बाद ही की जा सकेगी।
इसके लाए सैंपल की मदद से वैज्ञानिक सोलर सिस्टम की शुरुआत के बारे में स्टडी करेंगे। धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, इसके रहस्य भी ये सैंपल खोल सकते हैं। दरअसल, कई रिसर्चर्स का मानना है कि धरती से ऐस्टरॉइड्स की टक्कर की वजह से ही यहां जीवन पैदा हुआ था। NASA के अधिकारी ऐस्टरॉइड्स को ‘टाइम कैप्सूल’ कहते हैं क्योंकि वह ग्रहों के साथ ही बचे हुए मटीरियल से बने थे।

कैसे होगी लैंडिंग : स्पेस एजेंसी JAXA का प्लान है कि ऑस्ट्रेलिया में सैंपल के कैप्सूल को 2.2 लाख किलोमीटर की ऊंचाई से गिराया जाएगा। हीट शील्ड से सुरक्षित कैप्सूल धरती से 200 किलोमीटर ऊंचाई से आग के गोले में तब्दील हो जाएगा। करीब 10 किमी ऊंचाई पर इसका पैराशूट निकल आएगा और फिर लैंडिंग होगी।
ऐसे खोजा जाएगा : लैंडिंग के बाद इस तक पहुंचने के लिए कई जगहों पर सैटलाइट डिश भी लगी हैं। ये सिग्नल को कैच करेंगी और मरीन रेडार, ड्रोन और हेलिकॉप्टर्स की मदद करेंगे ताकि कैप्सूल को ढूंढा जा सके। इनके बिना 40 सेंटीमीटर डायमीटर के कैप्सूल को खोजना बेहद मुश्किल होगा।