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दुनियां के अधिकतर लोग इस अनदेखी शक्ति से हैं अंजान

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ईश्वर ने हम सभी को अनदेखी शक्तियां दी हैं। कई बार हम खुद अपनी योग्यता से अंजान होते हैं और समय आने पर हमें इसका पता चलता है। हमें इस बात को समझना चाहिए कि किसी एक काम में असफल होने का मतलब हमेशा के लिए अयोग्य होना नहीं है। खुद की योग्यता पहचानकर आप हर कार्य कर सकते हैं।

किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब और पास में एक बगीचा था, जिसमें अनेक प्रकार के पेड़-पौधे लगे थे। दूर-दूर से लोग वहां आते और बगीचे की तारीफ करते। गुलाब के पेड़ पर लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता कि हो सकता है एक दिन कोई उसकी भी तारीफ करे लेकिन जब काफी दिन बीत जाने के बाद भी किसी ने उसकी तारीफ नहीं की तो वह काफी हीन महसूस करने लगा।

उसके अंदर तरह-तरह के विचार आने लगे। सभी लोग गुलाब और अन्य फूलों की तारीफ करते नहीं थकते पर मुझे कोई देखता तक नहीं। शायद मेरा जीवन किसी काम का नहीं। कहां ये खूबसूरत फूल और कहां मैं?

ऐसे विचार सोच कर वह पत्ता काफी उदास रहने लगा। दिन यूं ही बीत रहे थे कि एक दिन जंगल में बड़ी जोर-जोर से हवा चलने लगी और देखते-देखते उसने आंधी का रूप ले लिया। बगीचे के पेड़-पौधे तहस-नहस होने लगे, देखते-देखते सभी फूल जमीन पर गिर कर निढाल हो गए। पत्ता भी अपनी शाखा से अलग हो गया और उड़ते-उड़ते तालाब में जा गिरा। पत्ते ने देखा कि उससे कुछ ही दूर पर कहीं से एक चींटी हवा के झोंकों की वजह से तालाब में आ गिरी थी और अपनी जान बचाने के लिए संघर्षरत थी। चींटी कोशिश करते-करते काफी थक चुकी थी और उसे अपनी मृत्यु निश्चित लग रही थी कि तभी पत्ते ने उसे आवाज दी, ‘‘घबराओ नहीं। आओ। मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं।’’

और ऐसा कहते हुए पत्ते ने चींटी को अपने ऊपर बैठा लिया। आंधी के रुकते-रुकते पत्ता तालाब के एक छोर पर पहुंच गया। चींटी किनारे पर पहुंचकर बहुत खुश हो गई और बोली, ‘‘आपने मेरी जान बचाकर बहुत बड़ा उपकार किया है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।’’

यह सुनकर पत्ता भावुक हो गया और उसने कहा, ‘‘धन्यवाद तो मुझे करना चाहिए क्योंकि तुम्हारी वजह से आज पहली बार मेरा सामना मेरी योग्यता से हुआ है, जिससे मैं आज तक अंजान था। आज पहली बार मैं अपने जीवन के मकसद और अपनी ताकत को पहचान पाया हूं।’’

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