यहां बताय जा रहे उपाय छोटे-छोटे हैं लेकिन पूर्ण रूप से सार्थक हैं। इनको उपयोग में लेने पर शनि महाराज अपनी कुदृष्टि का प्रभाव कम कर देते हैं। हमें उनके कोप का भाजन तो बनना पड़ता है लेकिन मात्र आंशिक रूप से। ऐसे उपाय करने से शनि प्रसन्न होते हैं और उस जातक का कल्याण भी करते हैं। अत: जीवन में इन छोटे-छोटे मगर पूर्ण प्रभावी उपायों को तथा विभिन्न उपयोगी टोटकों को उपयोग में लाएं न कि शनि महाराज से डरकर बैठ जाएं।
शनि का कुप्रभाव कम करें
* यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में किसी भी राशि का शनि दशम (कर्म) भाव में बैठकर अशुभ फल देने लगे तो ऐसे जातक को मांस-शराब का त्याग करना चाहिए और 48 वर्ष की आयु से पहले अपना मकान नहीं बनाना चाहिए। केले तथा चने की दाल मंदिर में देनी चाहिए। हरि, विष्णु एवं शिव की एक साथ ही पूजा करनी चाहिए और पीपल, ब्राह्मण, संन्यासी तथा कुलगुरु की सेवा करनी चाहिए।
* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि सप्तम भाव में बैठकर अशुभ फल देने लगे जब जातक शहद से भरा हुआ मिट्टी का बर्तन या बांस में चीनी (शक्कर) भरकर किसी निर्जन स्थान में गाड़ दें तो शनि का अशुभ फल कम हो जाता है।
* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि तीसरे भाव में बैठकर अशुभ फल देने लगे, तब जातक मांस, मदिरा का सेवन न करें और घर के सिरे पर अंधेरा कमरा रखें। जातक के घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में हो तथा जातक गणेश उपासना करें। तिल, नींबू, केले दान करें, काला तिल पानी में विसर्जित करें। नौ वर्ष से कम आयु की कन्याओं को खट्टा भोजन दें। घर में काला कुत्ता पाल कर उसकी सेवा करें। अच्छा व्यवहार और अच्छा चाल-चलन रखें।
* यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में किसी भी राशि का शनि लग्न में बैठकर अशुभ फल देने लगे, तब जातक बंदरों की सेवा करें तथा चीनी मिला हुआ दूध बड़ के पेड़ की जड़ में डालें, फिर उस गीली मिट्टी से तिलक करें, झूठ न बोलें और दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि न डालें।
* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि भाग्य भाव (नवम भाव) में बैठकर अशुभ फल देता हो तो जातक को अपने घर की छत पर ईंधन, अनुपयोगी कबाड़ आदि नहीं रखना चाहिए। घर के सिरे के कमरे में अंधेरा रखना चाहिए। पीपल के पेड़ में पानी डालना चाहिए और वीरवार को व्रत रखना चाहिए। चांदी के टुकड़े में हल्दी का तिलक लगाकर अपने पास रखें। ब्राह्मण, साधु एवं कुलगुरु की सेवा करें। पीले धागे में हल्दी का टुकड़ा लपेटकर अपनी भुजा में बांधें।
* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि अशुभ फल पंचम भाव में बैठकर दे रहा हो तब जातक अपने पास स्वर्ण एवं केसर रखें तथा मंदिर में कुछ अखरोट ले जाएं उनमें से आधे वापस लाकर सफेद कपड़े में लपेटकर घर में रखें। नाक व मुख को सदैव साफ रखें। बहनों की सेवा करें, स्टील का छल्ला पहनें, साबुत हरी मूंग की दाल मंदिर में दान करें और दुर्गा माता की पूजा करें।
* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि द्वादश भाव में बैठकर अशुभ फल देने लगे, तो जातक झूठ न बोलें। मांस, शराब व अंडे का सेवन न करें तथा घर की अंतिम (बाहरी) दीवार में खिड़की या दरवाजा न रखें।
* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि षष्ठम भाव में बैठकर अशुभ फल देने लगे तब जातक पुरानी वस्तुएं खरीदें, किंतु चमड़े तथा लोहे की बनी हुई कोई वस्तु न खरीदें।
* किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि एकादश (लाभ) भाव में बैठकर अशुभ फल देने लगे तो जातक अपने घर में चांदी की ईंट रखें। मांस-शराब का सेवन न करें। ऐसे घर में रहें जिसका मुख्य द्वार दक्षिण में न हो।
* यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी राशि का शनि द्वितीय भाव में अशुभ फल देने लगे तब जातक अपने माथे (ललाट) पर दूध या दही का तिलक लगाएं तथा स्लेटी रंग की भैंस पालकर उसकी सेवा करें तथा सांपों को दूध पिलाएं।
* काली गाय को प्रतिदिन रोटी देने के साथ कह देना चाहिए कि महाराज शनि के लिए मैं यह दान कर रहा हूं क्योंकि गाय सर्वदेवमयी एवं सर्व देव पूजित है इससे शनि दोष न्यून हो जाता है।
* छाया पात्र का दान करने से (जो शनिवार के दिन ही होता है) शनि दोष शमन होता है, जिसको भी शनि दोष हो वह स्टील की कटोरी में तेल भरकर और अपना मुख देख करके और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो सतनाज (सात अनाज) और दो लड्डू, फल और काला कोयला और कील रख कर ठीक 12 बजे दोपहर को डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को देने से (कम से कम 21 शनिवार ऐसा करने से) शनि दोष में चमत्कारी लाभ होने लगता है।