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सावन के शनिवार होगा चमत्कार, महादेव काटेंगे शनि देव के सभी प्रकोप

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सावन मास में की गई शिव उपासना से शनि दोष का शमन होता है इसलिए पीड़ादायक शनि दशा, साढ़े साती या शनि दोष शांति निम्न महामृत्युंजय शिव उपासना बहुत प्रभावशाली है। महामृत्युंजय मंत्र काल, रोग, दु:ख के नाश के लिए अचूक है। इस महामृत्युंजय मंत्र को रुद्राक्ष माला और कुशा-आसान पर बैठकर शिव-शनि की निम्न लिखित शास्त्रोक्त विधि से पूजन करें:

महामृत्युंजय शनि शांति पूजन विधि: सूर्यादय पूर्व नित्यकर्म से निवृत हो जाएं। किसी भी शिवालय में शिवलिंग पर शुद्ध जल में काले तिल डालकर अर्पित करें। चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बिल्वपत्र चढाएं। तदुपरांत शनिदेव यंत्र स्थापित कर तेल अर्पित कर गंध, फूल, काले तिल, काला वस्त्र चढ़ाकर पूजा यंत् की पूजा करें। शिवलिंग पर दूध से बने मिष्ठान और शनि यंत्र पर तेल में तले व्यंजनों का भोग लगाएं। शिव-शनि पूजा उपरांत महामृत्युंजय मंत्र का एक माला (108) जाप करें:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

मंत्र जाप पश्चात शिव-शनि की आरती करें। शिव आरती में शुद्ध घी व कर्पूर का प्रयोग करें और शनि आरती तेल के दीप से करें। पूजा-आरती के पश्चात शिव-शनि से निरोगी, निर्भय व सुखी जीवन की कामना हेतु आग्रह करें।

जो व्यक्ति मंत्र उच्चारण नहीं कर सकते है, वे मात्र पंचाक्षरी मन्त्र “नमः शिवाय” से सामग्री ईश्वर पर अर्पित कर सकते हैं। मात्र श्रद्धा और अनन्य भक्ति की आवश्यकता है। इस प्रकार के विशेष पूजन से जन्म-जन्मांतर के पापों का सर्वनाश हो जाता है। श्रावण मास में औघड़ दानी बाबा भोलेनाथ की पूजा का सद्यः फल प्राप्त किया जा सकता है। विशेष शनिकृत पीड़ा चाहे वह साढ़ेसाती हो या शनि की दशान्तर्दशा हो, शनिजन्य चाहे कोई भी पीड़ा क्यों न हो। हर तरह के कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है ।