* प्रतिपदा को कूष्मांड न खाएं क्योंकि उस दिन यह धन का नाश करने वाला होता है।
* द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) निषिद्ध है। तृतीया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है।
* चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।
* पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।
* षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुंह में डालने से नीच योनि की प्राप्ति होती है।
* सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है।
* अष्टमी को नारियल फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।
* नवमी को लौकी न खाएं।
* दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।
* एकादशी को सेम खाने से पुत्र का नाश होता है।
* द्वादशी को पोई (पूतिका) खाने से पुत्र को परेशानी होती है।
* त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।
* अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि, रविवार, श्राद्ध और व्रत के दिन तिल का तेल निषिद्ध है।
* प्रतिपत्सु च कुष्मांडमभक्ष्यमर्थनाशनम्…ब्रह्मवैवर्तपुराण, ब्रह्म, 27/29-34)