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दुनिया के रहस्‍यमय रेगिस्‍तान से मिली 2200 साल पुरानी 121 फुट लंबी ‘बिल्‍ली’


दुनिया के सबसे रहस्‍यमय रेगिस्‍तान में शुमार पेरू के नाज्‍का रेगिस्‍तान में 121 फुट लंबी ब‍िल्‍ली की आकृति पाई गई है। पुरातत्‍वव‍िदों का अनुमान है क‍ि य‍ह ब‍िल्‍ली की आकृति करीब 2200 साल पुरानी है। कई लोगों का मानना है क‍ि इसे एल‍ि‍यंस की मदद से म‍िलकर बनाया गया होगा।
पेरू के रहस्‍यमय रेगिस्‍तान में धरती का एक और ‘अजूबा’ मिला है। पुरात्‍वविदों को एक 2200 साल पुरानी बिल्‍ली का विशाल रेखाचित्र (Geoglyphs) मिला है। इसकी खोज करने वाले पुरातत्‍वविदों ने बताया कि पेरू के नाज्‍का रेगिस्‍तान में स्थित एक पहाड़ी पर इस बिल्‍ली की 121 फुट लंबी आकृति बनाई गई है। नाज़्का लाइन्स पेरू में सदियों से संरक्षित हैं और इसे नाज़्का संस्‍कृति की विरासत माना जाता है। अब तक यहां पर कई विशाल आकृतियां मिल चुकी हैं और इसी कड़ी में अब 2200 साल पुरानी बिल्‍ली के आकृति की खोज हुई है।
आकाश से नजर आते हैं पेरू के विशाल प्राचीन रेखाचित्र : यह बिल्‍ली की आकृति अलास्‍का से आर्जेंटीना जाने वाले एक हाइवे के किनारे स्थित पहाड़ी पर बनी हुई है। दक्षिण पेरू में स्थित नाज्‍का लाइंस जियोग्लिफ (धरती पर बने विशाल रेखाचित्र) का एक समूह है। नाज़्का लाइन्स में अब तक 300 से ज्‍यादा अलग-अलग आकृतियां मिल चुकी हैं जिसमें पशु और ग्रह शामिल हैं। पुरातत्‍वविद जॉनी इस्‍ला कहते हैं कि बिल्‍ली के रेखाचित्र को उस समय पाया गया जब दर्शकों को देखने के लिए बनाए गए प्‍वाइंट्स को साफ किया जा रहा था। इस सफाई का मकसद था कि पर्यटक आसानी से रहस्‍यमय नाज्‍का लाइंस को आसानी से देख सकें। हैरानी की बात यह है कि करीब दो हजार साल पहले उस समय के लोगों ने बिना किसी आधुनिक तकनीक के इन चित्रों का निर्माण किया जिसे केवल आकाश से ही देखा जा सकता है।
खत्‍म होने की कगार पर था ‘बिल्‍ली’ का रेखाचित्र, यूं बचाया : इस्‍ला ने कहा कि हम एक रेखाचित्र तक बने रास्‍ते को साफ कर रहे थे, इसी दौरान हमें लगा कि कुछ ऐसी रेखाएं हैं जो निश्चित रूप से प्राकृतिक नहीं हैं। उन्‍होंने कहा कि यह आश्‍चर्यजनक है कि अभी भी नए चित्र मिल रहे हैं। हम जानते हैं कि अभी और रेखाएं हो सकती हैं। उन्‍होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हम ड्रोन की मदद से पहाड़‍ियों के सभी हिस्‍सों की तस्‍वीर लेने में सफल रहे हैं। पेरू के संस्‍कृति मंत्रालय ने कहा कि जब इस बिल्‍ली की खोज की गई तो वह बहुत मुश्किल से नजर आ रही थी। यह रेखाचित्र लगभग खत्‍म होने की कगार पर था। इसकी वजह यह है कि यह बिल्‍ली का रेखाचित्र तीव्र पहाड़ी ढलान पर है और प्राकृतिक रूप से इसका क्षरण हो रहा था।
बिल्‍ली इस आकृति को 200 ईसापूर्व में बनाया गया : पेरू के संस्‍कृति मंत्रालय ने कहा कि कई सप्‍ताह तक संरक्षण और सफाई के कार्य के बाद अब बिल्‍ली जैसी आकृति उभरकर सामने आई है। इसके रेखाचित्र 12 से 15 इंच मोटे हैं। यह पूरी आकृति करीब 121 फुट लंबी है। अधिकारियों ने बताया कि बिल्‍ली इस आकृति को 200 ईसापूर्व में बनाया गया था। इस्‍ला ने बताया कि बिल्‍ली की आकृति पराकास काल के अंतिम दिनों में बनाई गई है जो 500 ईसा पूर्व से 200 ईस्‍वी के बीच था। पिछले साल नवंबर में पेरू के इस रहस्‍यमय रेगिस्‍तान में 140 नाज्‍का लाइंस मिली थीं जो करीब 2100 साल पुरानी हैं। जापानी शोधकर्ताओं ने ड्रोन और एआई की मदद से 15 साल तक शोध किया था। इन 140 नाज्‍का लाइंस में एक पक्षी, इंसान की शक्‍ल वाला जानवर, दो मुंह वाला सांप और एक किलर व्‍हेल मछली भी मिली थी।
एलियंस की मदद से बनाई विशाल आकृतियां! : पेरू के नाज्‍का लाइंस यूनेस्‍को के विश्‍व विरासत स्‍थल में आते हैं और इसकी पहली बार खोज 1927 में पुरातत्‍वविदों ने की थी। इनमें से कई आकृतियां इतनी विशाल हैं कि वे आकाश से भी नजर आती हैं। ऐसा माना जाता है कि इन आकृतियों को 500 ईसा पूर्व से लेकर 500 ईस्‍वी के बीच बनाया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि तत्‍कालीन नाज्‍का लोगों का मानना था कि इसे देवता आकाश से देख सकते हैं। उन्‍होंने ईश्‍वर को संदेश देने के लिए यह आकृतियां बनाई। इन आकृतियों को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। इन रेखाओं को समानांतर जमीन की ऊपरी सतह को खोदकर नीचे के पत्‍थर पर उकेरी गई है। कई विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इन आकृतियों को एलियंस की मदद से बनाया गया होगा।