महाभारत में ऐसी कई रोचक कहानियां हैं, जो किसी को भी हैरान कर सकती हैं। ऐसी ही कहानी है कृष्णा की, कृष्णा का जब विवाह हुआ तो वह द्रोपदी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। वह पांडवों की पत्नी थीं।
कृष्णा का जन्म अग्निकुंड से हुआ था। दरअसल, कृष्णा के जन्म के पीछे भी एक रोचक कहानी है। हुआ यूं था कि द्रोणाचार्य और द्रुपद (कृष्णा के पिता) बचपन के मित्र थे। राजा बनने के बाद द्रुपद अहंकारी हो गए और जब द्रोणाचार्य उनसे मिलने पहुंचे तो द्रुपद ने उनका अपमान किया।
बाद में द्रोणाचार्य ने पांडवों के जरिए द्रुपद को पराजित कर अपने अपमान का बदला लिया था। लेकिन पराजित द्रुपद फिर से द्रोणाचार्य से बदला लेना चाहते थे। इसलिए उन्होंने यज्ञ करवाया ताकि द्रोणाचार्य का वध करने वाला वीर पुत्र पैदा हो सके।
राजा द्रुपद इस तरह का यज्ञ करवाने के लिए कई लोगों के पास गए लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। आखिर महात्मा याज तैयार हुए और उन्होंने यज्ञ करवाया तो अग्निकुंड से एक दिव्य कुमार प्रकट हुआ। और उसके बाद एक कन्या भी प्रकट हुई। कन्या अधिक सुंदर थी।
महात्मा याज द्रुपद से बोले, यज्ञ से जन्मा यह बालक ठीक घृष्ट और असहिष्णु है। और इसका जन्म अग्नि से हुआ है तो इसका नाम घृष्टद्युम्न होगा। और कन्या जो कि कृष्ण वर्ण की है। उनका नाम कृष्णा होगा। इस तरह पांडवों से विवाह के बाद कृष्णा ही द्रोपदी के नाम से जानी गईं।