लद्दाख में राफेल फाइटर जेट की गर्जना से घबराया चीन अब तिब्बत की राजधानी ल्हासा में भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से बचाव की तैयारी में पूरी तरह से जुट में गया है। चीन ने शनिवार को ल्हासा में हवाई हमले से बचाव का ड्रिल किया। इस दौरान मॉक ड्रिल के दौरान नकली बम धमाकों की आवाज सुनी गई और हर तरफ सायरन गूंजते रहे। इस मॉक ड्रिल के दौरान ल्हासा के लोग अपने घरों में छिपे रहे।
तिब्बत पर नजर रखने वाली नामचीन वेबसाइट रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को हवाई हमले से बचाव के सायरन ल्हासा में बजाए गए। इस मॉक ड्रिल को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने शनिवार को अंजाम दिया। रेडियो फ्री एशिया को यह वीडियो सिटिजन जर्नलिस्ट की ओर से मिला है। माना जा रहा है कि भारत के राफेल फाइटर जेट के लद्दाख के आसमान में गर्जना के बाद चीन अपनी युद्धक तैयारियों को बढ़ाने में जुट गया है।
चीन ने रात में हमले करने का व्यापक युद्धाभ्यास किया
इससे पहले भारत और चीन में जारी भारी तनाव के बीच चीनी सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने लद्दाख के पास अपने इलाके में रात में हमले करने का व्यापक युद्धाभ्यास किया था। इस अभ्यास के दौरान चीनी तोपों ने जहां गोले बरसाए, वहीं जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का भी परीक्षण किया गया। चीनी सेना के एयर डिफेंस सिस्टम ने दुश्मन के हवाई जहाजों को भी मार गिराने का अभ्यास किया था। देखें चेतावनी का वीडियो….
चीन के सरकारी भोपू ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो जारी करके बताया कि तिब्बत सैन्य कमांड के चीनी सैनिकों ने रात में हमले का व्यापक अभ्यास किया है। यह अभ्यास समुद्र तल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर किया गया। इस दौरानी चीनी सेना ने सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, रॉकेट और होवित्जर तोपों का इस्तेमाल किया। चीनी एयर डिफेंस सिस्टम ने फाइटर जेट को मार गिराने का अभ्यास किया।
रूस के अत्याधुनिक S-500 एयर डिफेंस सिस्टम के अलावा किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक मिसाइलों का रोकने की क्षमता नहीं है। इस तकनीकी की मदद से अब भारत एंटी शिप मिसाइलें बना सकेगा। ये घातक मिसाइलें पलक झपकते ही शत्रुओं के एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर देंगी। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ब्रह्मोस-2 नाम से एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है। रूस के मदद से तैयार ब्रह्मोस मिसाइल अभी सब सोनिक स्पीड (ध्वनि से तीन गुना ज्यादा रफ्तार) से वार करती है। इस तरह ब्रह्मोस-2 अपने पूर्ववर्ती मिसाइल से दोगुना ज्यादा रफ्तार से वार करेगी।
लद्दाख में भारतीय जमीन पर आंखे गड़ाए बैठा चीन बहुत तेजी से अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ा रहा है। चीन के पास जल्द ही तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे। इसके अलावा चीन के पास बड़े पैमाने पर डेस्ट्रायर, फ्रीगेट्स और अत्याधुनिक सबमरीन का बेड़ा है। इसके अलावा चीन अपनी नौसेना के लिए कई घातक हथियार बनाने में जुटा हुआ है। चीन ने हाल ही में लंबी दूरी तक मार करने वाली डीएफ-27 मिसाइलों का परीक्षण किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने से चीन की टेंशन कई गुना बढ़ जाएगी।
चीन न केवल अपनी ताकत बढ़ा रहा है, बल्कि भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान की नौसेना को घातक युद्धपोत और सबमरीन दे रहा है। चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव में चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर एक अहम हिस्सा है, दोनों देशों के बीच सैन्य हथियारों को लेकर भी कई डील हुई हैं। यही नहीं चीन पाकिस्तान के ग्वादर में विशाल नेवल बेस बना रहा है। अब चीन के हुडॉन्ग-झॉन्गहुआ शिपयार्ड ने पाकिस्तानी नौसेना के लिए बनाया टाइप-054AP श्रेणी का मल्टिपर्पज स्टेल्थ फ्रीगेट भी लॉन्च कर दिया है। ये फ्रीगेट रेडार को चकमा देने में भी सक्षम है। पाकिस्तान की नौसेना के पास इस समय केवल नौ फ्रीगेट्स, पांच सबमरीन और 10 मिसाइल बोट और तीन माइनस्वीपर हैं।
चीन से मिल रहे युद्धपोत से पाकिस्तानी नौसेना बेहद घातक हो जाएगी। ये युद्धपोत 4000 समुद्री मील तक हमला कर सकते हैं और इन पर जमीन से हवा और सबमरीन रोधी मिसाइलें लगी हुई हैं। पाकिस्तान को ये हथियार 2021-23 के बीच मिल जाएंगे। पाकिस्तान को मिलने वाली चीनी युआन क्लास की पनडुब्बी दुनिया में सबसे शांत मानी जाने वाली पनडुब्बियों में से एक है। इन 8 में से 4 वर्ष 2023 पाकिस्तान को मिल जाएंगी। डीजल इलेक्ट्रिक चीन की इस पनडुब्बी में ऐंटी शिप क्रूज मिसाइल लगी होती हैं। यह पनडुब्बी एयर इंडिपैंडेंट प्रपल्शन सिस्टम के कारण कम आवाज पैदा करती है जिससे इसे पानी के नीचे पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। पाकिस्तानी नौसेना ने हाल में ही अपनी एक पनडुब्बी को चीनी नौसेना के युद्धपोतों के बीच कराची में सुरक्षा के लिए तैनात किया था।
हाइपरसोनिक मिसाइल की दुनिया में सबसे आगे रूस चल रहा है। रूस ने अपनी 3M22 जिरकॉन मिसाइल को तैनात करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की ब्रह्मोस-2 मिसाइल भी जिरकॉन पर आधारित है। डीआरडीओ अगले पांच साल में स्क्रैमजेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है। इसकी रफ्तार दो किलोमीटर प्रति सेकेंड से ज्यादा होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे अंतरिक्ष में सैटलाइट्स भी कम लागत पर लॉन्च किया जा सकते हैं। आम मिसाइलें बैलस्टिक ट्रैजेक्टरी फॉलो करती हैं। इसका मतलब है कि उनके रास्ते को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। इससे दुश्मन को तैयारी और काउंटर अटैक का मौका मिलता है जबकि हाइपरसोनिक वेपन सिस्टम कोई तयशुदा रास्ते पर नहीं चलता। इस कारण दुश्मन को कभी अंदाजा नहीं लगेगा कि उसका रास्ता क्या है। स्पीड इतनी तेज है कि टारगेट को पता भी नहीं चलेगा। यानी एयर डिफेंस सिस्टम इसके आगे पानी भरेंगे।
राफेल लद्दाख के आसमान में उड़ान भर रहा
चीन ने यह युद्धाभ्यास ऐसे समय पर किया है जब भारत का सबसे आधुनिक फाइटर जेट राफेल लद्दाख के आसमान में उड़ान भर रहा है। सूत्रों के मुताबिक राफेल पायलटों ने अंबाला से लद्दाख तक विमानों को उड़ाया। दरअसल, ये एक प्रैक्टिस के तौर पर किया गया। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि राफेल पायलट वहां के मौसम और वातावरण से परिचित हो जाएं। अगर चीन किसी भी तरह की गुस्ताखी करे और राफेल की जरूरत पड़े तो उसके पायलट इस वातावरण से पहले से ही परिचित हों।