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असाधारण नेतृत्व एवं जन- सहयोग से न्यूजीलैंड ने पायी कोरोना पर विजय

आलोक गुप्ता  

दुनिया के अंतिम छोर पर  दक्षिण  प्रशांत महासागर  में  बसें , प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पहचाने जाने वाले देश न्यूजीलैंड ने मात्र 75 दिनों में अपने प्रयासों से  कोरोना वायरस से पूर्णत: मुक्ति प्राप्त कर ली है|

दुनिया के लिए एक मिसाल कायम करते हुए  न्यूजीलैंड ने यह कारनामा 24 मार्च से लेकर 8 जून के बीच कर दिखाया|  इस महत्वपूर्ण सफलता को हासिल करने के लिए न्यूजीलैंड ने अपनी  ख्याति के अनुरूप ना केवल बहुत सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया वरन इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार  कारण रहे, असाधारण नेतृत्व क्षमता,  जनता का बहुत सहयोग और परिपक्वता का परिचय,  स्पष्ट रणनीति अपनाना ,  सरकार की समाज के प्रति जिम्मेदारी समझना और हर पल ईमानदार मीडिया के माध्यम से  जनता को अपने विश्वास में बनाए रखना ।

आइए विश्लेषण करते हैं किन कारणों से न्यूजीलैंड मात्र 75 दिनोंमें अपने प्रयासों से  कोरोना  मुक्त हुआ जबकि अभी भी दुनिया के अधिकांश  देश इस महामारी से हजारों जाने प्रतिदिन खो रहे हैं-

न्यूजीलैंड इस मामले में बहुत ही भाग्यशाली है कि संकट की  असाधारण घड़ी में  उसे   जसिंडा  आर्डन  के रूप में एक बहुत ही नेक,  प्रतिभाशाली,  आत्मविश्वास से भरपूर,  पार्टीगत  राजनीति से ऊपर,  बेहद युवा  एवं  ऊर्जावान  प्रधानमंत्री का नेतृत्व प्राप्त हुआ। 2017 के आम चुनावों  से  पूर्व-  जसिंडा  आर्डन  को कोई नहीं जानता था।  लेकिन भाग्य की बलिहारी,   राजनैतिक घटना चक्र ऐसा बदला कि अचानक एक अनजान सांसद से उठकर उन्हें  लेबर पार्टी का  मुखिया बनाया गया और फिर 2 महीने के  अंदर उन्होंने  अपनी नैसर्गिक प्रतिभा और आम आदमी वाला पर्सनल टच  दिखाकर,  गठबंधन के माध्यम से सरकार बनाई और  विश्व की सबसे युवा महिला प्रधानमंत्री मात्र 37 वर्ष की बनने का गौरव भी हासिल किया।

जसिंडा  आर्डन जबसे प्रधानमंत्री बनी है तब से हर चुनौती का उन्होंने जमकर न केवल सामना किया और उस पर विजय पाई बल्कि पुरस्कार स्वरूप हर बार सारी दुनिया से उसके लिए वाहवाही भी लूटी।  फिर चाहे वह क्राइस्ट चर्च मस्जिद गोलीकांड हो या देश में आई प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप या वोल्केनो का  फट्ने से निबट्ना हो।

कीवी प्रधानमंत्री जसिंडा  आर्डन,  को जैसे ही  मार्च के मध्य में कोरोना वायरस   से उपज़े खतरे का आभास हुआ।  उस समय न्यूजीलैंड में संक्रमण रोगियों की संख्या लगभग 200 थी।  20 मार्च उन्होंने अपनी कैबिनेट मंत्रियों, स्वास्थ्य विभाग,  और दुनिया के  अन्य देशों से आ रहे  फीडबैक के अनुसार,  तुरंत स्पष्ट रणनीति बना ली।  और 24 मार्च आते आते उन्होंने उस पर अमली जामा पहनना शुरु कर दिया।

कोरोना से निपटने के लिए उन्होंने अपनी मुहिम को  ‘हिट अर्ली – हिट हार्ड’  का नाम दिया इसका तात्पर्य।  इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी ताकत से  और उतनी ही जल्दी सुरक्षा कवच अपनाया जाए।  24 मार्च से 1 महीने के लिए उन्होंने  ‘लेवल 4 लॉक डाउन’  के तहत  पूरे देश को  स्थगित कर दिया।  सिर्फ ‘एसेंशियल सर्विसेज’ के नाम पर अस्पताल, पेट्रोल पंप, खाद्य-सामग्री वाली दुकानें और उनसे जुड़े कर्मचारी आ जा सकते थे।  आम जनता को प्रधानमंत्री की अपील थी कि  लोग सिर्फ अपने घर में ही अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ रहे जिसे उन्होंने “लिव इन योर ओन बबल” का नाम लिया।  उसी दिन से सारी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट का आना-जाना भी बंद कर दिया गया यानी की बॉर्डर पूरी तरह सील कर दिए गए।

जैसे ही लोग अपने घरों में कैद हुए और सारे कामकाज रुक गए तो सबसे बड़ा प्रश्न लोगों की  आजीविका  और घर  खर्च चलाने के लिए  आर्थिक सहायता का था।  प्रधानमंत्री और सरकार इसकी योजना,  बंद करने के फैसले के साथ की तय कर चुकी थी।  सबसे पहले तो उन्होंने सभी रोजगार देने वाले व्यवसायियों-  एंपलॉयर्स को  यह  हिदायत दी कि ,  इन विषम परिस्थितियों में किसी का भी रोजगार ना जाए,  और जिस कर्मचारी को जो तनखा मिल रही है उसका कम से कम 80% उसके अकाउंट में नियमित तरीके से जमा किया जाए।  जिसके लिए सरकार ने सभी एंप्लॉयर से सिर्फ एक ईमेल के माध्यम से उनके यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या और उनको मिलने वाला वेतन की जानकारी मांगी और उस राशि को औसतन 72 घंटों के अंदर एंपलॉयर्स के बैंक अकाउंट में जमा करा दिया गया।  ताकि किसी भी कर्मचारी को नौकरी जाने का डर और आर्थिक तंगी की समस्या का सामना ना पड़े।  यह आर्थिक मदद एंपलॉयर्स को पहले 2 महीने के लिए दी गई।  जिसे बाद में 2 महीने के लिए और बढ़ाया गया।। इस प्रकार सरकार ने किसी भी के मन में अनावश्यक आर्थिक असुरक्षा के भाव आने से बचने में सफलता प्राप्त की।  इसके अलावा  50 बिलियन डॉलर की हार्दिक मदद अर्थव्यवस्था को इस संकट की घड़ी में उबरने के लिए  सरकार ने घोषणा की सभी बढ़ी व्यवसाइक कपनियों को तुरंत नियम अनुसार उनके बैंक अकाउंट में पैसा जमा कर उन्हें भी उनका व्यवसाय खत्म होने की असुरक्षा के भाव से मुक्त किया।

दूसरा महत्वपूर्ण कदम  प्रधानमंत्री और सरकार ने यह किया कि प्रतिदिन बिना नागा 1:00 बजे दोपहर प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से  न्यूजीलैंड स्वास्थ्य विभाग मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल  एस्ले  ब्लूमफील्ड  के साथ,  सारे देश में प्रतिदिन हो रहे घटनाक्रम से अवगत कराया|  लोगों को निरंतर विश्वास में लेते हुए यह हिदायत दी कि उन्हें क्या करते रहना है,  कैसे करते रहना है,  उससे क्या लाभ होगा,  और सरकार क्या कर रही है, कितने टेस्ट हुए हैं,  कितने पॉजिटिव निकले,   कितने हॉस्पिटल में हैं आदि आदि ।  साथ ही  प्रधानमंत्री और हेल्थ डायरेक्टर जनरल ने पत्रकारों के माध्यम से सारे देश के प्रश्नों  और जिज्ञासाओं के उत्तर भी दिए।  जिससे कि जनमानस में सरकार की इस बीमारी से लड़ने की प्रक्रिया और क्षमता पर विश्वास बना रहा और जिसके चलते सरकार को जनमानस का निरंतर पूरा सहयोग भी मिलता रहा।

एक माह में पॉजिटिव संक्रमण की संख्या निरंतर गिरती रही तो फिर न्यूजीलैंड को लॉक डाउन 3 श्रेणी में लाया गया जिसमें कि जनता से कहा गया कि,  सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए नदी,  समुंदर,   पार्क आदि जगहों पर जा सकते है, और अपना फैमिली बबल बढ़ाकर अपने रिश्तेदारों और परिवार के अन्य सदस्यों से मिल सकते हैं। लोगों को लेवल 3 लॉक डाउन में सिर्फ अपने संभाग के अंदर यात्रा करने की इजाजत दी गई। एसेंशियल सर्विसेज चालू रहीं और लोगों ने वर्क फ्रॉम होम को भी अपनी दिनचर्या का एक हिस्सा बना लिया।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोगों से और बेहतर जुड़े रहने और संवाद कायम करने के लिए नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा रोज़ शाम अपने घर से ही  बिल्कुल बेफिक्र और अपनेपन के अंदाज़ के साथ  फेसबुक लाइव चैट करना शुरू किया जिसमें उन्होंने न केवल लोगों की समस्याओं को समझा वरन  लोगों को अपनी बात बहुत प्रेम और स्नेह से समझाने में भी सफलता प्राप्त की।

यह सिलसिला  निरंतर लेवल 2 के दौरान भी चला, जिसमें न्यूजीलैंड वासियों को  काफी  राहत मिली, 8 जून से 2 सप्ताह पूर्व, सभी न्यूजीलैंड वासियों को देश में कहीं भी आने-जाने की छूट मिली ,  रेस्टोरेंट्स, होटल-बार और बाजार माल आदि , सभी खुल गए,  लोगों को हिदायत थी कि  वह 1 मीटर का डिस्टेंस का पालन करते हुए अब कहीं भी आ जा सकते हैं।  दूसरी तरफ लेवल 2 के 14 दिनों के दौरान देश में एक भी नया पॉजिटिव केस नहीं पाया गया था।

8 जून,  सोमवार की दोपहर प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डन  घोषणा की कि देश का एकमात्र बचा हुआ पॉजिटिव केस भी स्वस्थ हो गया है, और देश अब निश्चिंत भाव से  उसी रात से कोरोना फ्री होकर अपनी दिनचर्या का पालन कर सकता है।  अब सिर्फ एक मात्र आग्रह सरकार का सामान्य जन से यह है कि वह कोविड-19 कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग मोबाइल एप्लीकेशन को डाउनलोड करके रखें ताकी अगर  संक्रमण की कोई संभावना बनती दिखती है तो उसके माध्यम से उसके कांटेक्ट स्त्रोत का पता लगाया जा सके।

न्यूजीलैंड की ऐतिहासिक सफलता में  जनमानस का  बहुमूल्य सहयोग रहा, जिन्होंने सरकार के हर फैसले को स्वीकारा और उसके साथ भरपूर मन से पूरा सहयोग किया| पूरे देश ने एक परिवार कि तरह स्वंम की ज़िम्मेदारी समझकर एक परिवार की भांती मिलकर इस मुश्किल से जूझने का  संकल्प लिया और उसे पूरा किया ।

वही   विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने  अनावश्यक सरकार के कामों में दखलअंदाजी न कर  समस्या को और मुश्किल नहीं बनाया।  तीसरी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका  मीडिया के सकारात्मक दृष्टिकोण की भी रही।  उन्होंने  ना ही सरकार और स्वास्थ्य विभाग  को अनावश्यक प्रश्नों के दबाव तले दबाया वरन  सरकार और स्वास्थ्य विभाग की मीडिया के माध्यम से संदेश को सही और   सटीकता से  प्रेषित किया ताकि उसका प्रभाव और असर बना रहे।

तो कुल मिलाकर  न्यूजीलैंड के  50 लाख  लोगों  ने पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की और इस विषम परिस्थितियों में एक परिवार की तरह मिलकर, निज़ी स्वार्थों को परे रख  महामारी को नियंत्रित करने में सफलता पाई ।