वॉशिंगटन। स्पेस में एक साल बिताने के बाद मानव शरीर में क्या बदलाव होते हैं, इसे जांचने के लिए नासा ने एक नया प्रयोग किया है। नतीजे चौंकाने वाले सामने आए हैं। यह पाया गया है कि धरती की जगह अंतरिक्ष में रहने पर उम्र बढ़ने की दर कम हो जाती है।
इस प्रयोग के लिए स्कॉट और मार्क को ही इसलिए चुना गया क्योंकि जुड़वां होने के कारण इस प्रयोग के लिए वे आदर्श विकल्प थे। पिछले मार्च को 52 वर्षीय जुड़वा भाई अंतरिक्ष यात्री स्कॉट और मार्क केली ने मिशन को पूरा किया। स्कॉट अंतरिक्ष में 340 दिन गुजारने के बाद धरती पर उतरे थे। मार्क ने उन्हें गले लगा लिया था।
अंतरिक्ष में एक वर्ष माइक्रोग्रैविटी में तैरते हुए गुजारने पर मानव शरीर पर क्या असर पड़ता है, यह जानने के लिए प्रयोग किया गया था। वैज्ञानिकों ने मिशन से पहले, मिशन के दौरान और इसके बाद में एस्ट्रोनॉट स्कॉट कैली का डाटा लिया और धरती पर रह रहे उसके जुड़वां भाई रिटायर्ड एस्ट्रोनॉट मार्क के डाटा के साथ उसकी तुलना की।
इस अध्ययन का मकसद, मंगल ग्रह के लिए एक लंबी अवधि के मिशन के संभावित जोखिम के बारे में जानकारी हासिल करना था। डेटा का विश्लेषण में इम्यून सिस्टम, हड्डियों के गठन, और पृथ्वी के वायुमंडल से परे रहने पर डीएनए कैसे प्रभावित हो सकता है, इसके बारे में अध्ययन करना शामिल था।
शोधकर्ताओं के लिए सबसे आश्चर्यजनक निष्कर्ष यह था कि स्पेस में रहने के दौरान स्कॉट के टेलोमेरेस (क्रोमोसोम के अंत में रिपीटीटिव सीक्वेंस) की लंबाई बढ़ गई थी। जब वे धरती पर वापस आए, तो उनकी लंबाई फिर से कम हो गई। गौरतलब है कि जब कोई व्यक्ति बूढ़ा होता है, तो उसके टेलोमेरेस छोटे हो जाते हैं।
वैज्ञानिक मान रहे थे कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान इस प्रक्रिया में तेजी आएगी। यानी व्यक्ति वहां जल्दी बूढ़ा हो जाएगा। मगर, नतीजों ने वैज्ञानिकों के पूर्वाग्रह को बदल दिया। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह परिवर्तन इसलिए हुआ क्योंकि स्पेस में रहने के दौरान स्कॉट के एक्सरसाइज करने में वृद्धि हुई और कैलोरी लेने की मात्रा में कमी आई। हालांकि, वे इस बारे में अधिक विस्तार से अध्ययन करने के इच्छुक हैं।