प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद करने की अचानक घोषणा कर कालाधन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और जाली नोट पर नकेल कसने का जबर्दस्त मास्टर स्ट्रोक चला है। मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने 500 और 100 रुपये के नोट रखने वालों को 50 दिन की मोहलत दी है।
कालेधन और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए इसे मोदी सरकार का अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार माना जा रहा है। लेकिन मोदी सरकार ने इतना बड़ा फैसला कोई एक दिन में ही तय करके नहीं लिया, बल्कि इसके लिए योजना बनाने में लगभग 6 महीने का समय लगा है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरकार के इस फैसले की खबर मात्र 6 लोगों को ही थी। इन 6 लोगों में प्रिंसिपल सेक्रटरी नृपेंद्र मिश्रा, पूर्व और वर्तमान आरबीआई गवर्नर, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरुण जेटली शामिल थे।
सरकार ने दो महीने पहले से इस पर काम करना शुरू भी कर दिया था। इस बात को छिपाने की वजह पूछे जाने पर एक सरकारी सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बात लोगों तक पहुंचने से पहले कुछ बाकी काम पूरे करने थे, इस वजह से इस बात को दबाकर रखा गया था।
प्रधानमंत्री का पद संभालने के ढाई साल बाद पहली बार टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संबोधन में मोदी ने कहा कि जल्द ही 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे। बैंक और डाकघर के खाताधारक 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक अपने खातों में पुराने नोट बिना किसी सीमा तक जमा करा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि 2000 और 500 रुपये के नए नोटों का स्वरूप भी बिल्कुल बदला होगा। ये नोट बैंकों में पहुंच चुके हैं और संभवत: 10 नवंबर से चलन में आ जाएंगे।