टोकियो | जापान की सरकार दक्षिण चीन सागर में चीनी मनमानियों का जवाब देने का गंभीरता से मन बना चुकी है। जापान सरकार ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर स्थित अपने द्वीपों को चीन के कब्जे से बचाने के लिए मिसाइल बनाने का निर्णय लिया है। यह कदम चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार की वजह से उठाया है।
जमीन से समुद्र में मार करने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर की होगी। इस योजना पर जापानी रक्षा मंत्रालय ने काम शुरू कर दिया है। आगामी वित्तीय वर्ष में इसके लिए अलग से बजट जारी करने की भी मांग रक्षा मंत्रालय ने की है। इस मिसाइल को तैयार कर 2024 में जापान इसे जंगी जहाजों पर तैनात करने की भी योजना पर काम कर रहा है।
गौरतलब है कि जापान ने 2012 में एक लैंडलॉर्ड से पूर्वी चीन सागर में तीन द्वीप खरीदे थे। दोनों देशों के बीच तभी से यह विवाद बढ़ता गया और अब इसको लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं। चीन नहीं चाहता था कि जापान इन द्वीपों को खरीदे। चीन ने पूर्वी चीन सागर में जापानी अधिकार क्षेत्र वाले सेनकाकू द्वीप क्षेत्र में जंगी और फिशिंग जहाज तैनात कर दिए हैं। जापान द्वारा एतराज करने पर वह आक्रामक रुख का भी परिचय देता है।
एनएसजी पर चीन का दोहरा गेम –
भारतीय रक्षा विशेषज्ञ अशोक मेहता का कहना है कि एनएसजी के मुद्दे पर चीन के भारत के साथ वार्ता शुरू करने को नरमी नहीं माना जा सकता। उसका यह कदम टैक्टिकल गेम है। ड्रैगन चाहता है कि बातचीत के बहाने भारत को उलझाए रखें, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि खराब न हो। उनका मानना है कि बातचीत के बहाने वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर वार्ता की प्रक्रिया को लंबा खीचना चाहता है।